सरकार ने लोगों को दिया झटका, इनकम टैक्स नहीं घटाने के दिए संकेत
सरकार ने पर्सनल इनकम टैक्स की दरों में कटौती की संभावना को तकरीबन खारिज कर दिया है। शायद आने वाले बजट में भी इसमें राहत नहीं मिले।
नई दिल्ली: सरकार ने पर्सनल इनकम टैक्स की दरों में कटौती की संभावना को तकरीबन खारिज कर दिया है। शायद आने वाले बजट में भी इसमें राहत नहीं मिले। जानकारी के मुताबिक चीन, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कई देशों में टैक्स की दरें ज्यादा हैं। इसके अलावा राजकोषीय मोर्चे पर भी टैक्स में कटौती की गुंजाइश नहीं है। वहीं सितंबर में नई कंपनियों के लिए निगम कर की दर को 15% तक घटाने के सरकार के फैसले ने पिछले बजट में व्यक्तिगत आय कर (पीआईटी) में कमी के बारे में अटकलें लगाई थीं, जो उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों (एचएनआई) के लिए 42% से अधिक थी। वहीं आयकर पर एक समिति की सिफारिश है, जिसने दरों में कमी की वकालत की थी।
सरकार धीरे-धीरे सामाजिक सुरक्षा बढ़ा रही
वहीं दूसरी ओर इस बात की भी जानकारी मिली है कि देश में सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी स्कीमों का दायरा बढ़ाया गया है। इसके चलते निचले टैक्स स्लैब में भी टैक्स का ज्यादा बोझ देखने को मिल सकता है। सूत्रों ने कहा कि सरकार धीरे-धीरे सामाजिक सुरक्षा बढ़ा रही है। इसके साथ ही कम इनकम वालों के लिए टैक्स का बोझ घटाया जा रहा है। ज्यादा टैक्स के साथ देश के बड़े तबके के पास पब्लिक हेल्थकेयर और शिक्षा के अलावा पेंशन और बेरोजगारी भत्ता सुलभ होगा। उदाहरण के लिए ब्रिटेन और अमेरिका में प्राइमरी और सेकेंडरी में पढ़ने वाले करीब 90 फीसदी छात्र सरकारी स्कूलों में जाते हैं। जबकि हेल्थकेयर के मामले में भारतीयों को इस पर होने वाले खर्च का 65 फीसदी वहन करना पड़ता है। और ब्रिटेन में यह 15 फीसदी साथ ही अमेरिका में 11 फीसदी है।
वहीं पर्सनल इनकम टैक्स कम करने की दलील कमजोर है। वजह है कि पहले ही काफी एक्जेम्प्शन उपलब्ध है। इसके चलते टैक्स देनदारी कम हो जाती है। वहीं मसलन वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान सरकार ने लोगों और एचयूएफ को 1 लाख करोड़ रुपये की रियायत दी। इसे पब्लिक प्रोविडेंट फंड और पेंशन स्कीमों में निवेश पर कटौती के रूप दिया गया। इसके अलावा सरकार का मानना है कि 5 लाख रुपये तक की रिबेट के साथ निवेश पर टैक्स बेनिफिट और अन्य डिडक्शन की मदद से लोग 6.5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स देनदारी को शून्य कर सकते हैं। जिन देशों में टैक्स रेट ज्यादा है, सामाजिक सुरक्षा तो वे भी दे रहे हैं, सरकारी सूत्रों ने इस पर कहा कि इन देशों में से कुछ में स्कीम का बेनिफिट उठाने के लिए अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है।