सरकारी बैंकों ने ग्राहकों से पेनाल्टी के रूप में वसूले 1996 करोड़ रु, जानें क्यों
नई दिल्ली। देश के सरकारी बैंकों ने 1996.46 करोड़ रुपये ग्राहकों से वसूले। ग्राहकों से यह वसूली वित्त वर्ष 2018-19 में की गई है। जानकारी के अनुसार ग्राहकों से यह वसूली बचत खाते में मिनिमम मंथली बैलेंस न रखने पर जुर्माने के रूप में वसूली की गई है। यह जानकारी वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने लोकसभा में दी है। वित्त वर्ष 2017-18 में सार्वजनिक क्षेत्र के 18 बैंकों को मिनिमम बैलेंस पेनल्टी के तौर पर 3,368.42 करोड़ रुपये वसूले थे। वहीं इससे पहले के वित्त वर्ष 2016-17 में इस मद में 790.22 करोड़ रुपये वसूले थे।
एसबीआई ने घटाई है पेनाल्टी
ठाकुर ने एक लिखित जवाब में लोकसभा में बताया कि सरकारी बैंकों की मिनिमम बैलेंस न रखने वालों से पेनल्टी के रूप में वसूली में यह गिरावट एसबीआई की तरफ से बचत खाते में मिनिमम बैलेंस न रखने पर 1 अक्टूबर 2017 से जुर्माना घटाने के चलते आई है।
एसबीआई ने दोबारा शुरू किया पेनल्टी लेना
एसबीआई 2012 तक मिनिमम बैलेंस न रखने वालों से पेनल्टी वसूलता था। लेकिन बाद में बैंक ने इसे 1 अप्रैल 2017 से फिर से लागू कर दिया था। लेकिन मिनिमम बैलेंस बरकरार न रखने पर ग्राहकों से भारी भरकम जुर्माना वसूलने की आलोचना के बाद एसबीआई ने 1 अक्टूबर 2017 से जुर्माने की राशि को घटा दिया था।
बीएसबीडी अकाउंट पर नहीं लगती है पेनल्टी
इस जवाब में ठाकुर ने बताया है कि बैंक बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट (बीएसबीडी) अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस बरकरार न रखने पर कोई पेनॉल्टी नहीं लेते हैं। इनमें प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खुले बैंक अकाउंट भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आरबीआई के मुताबिक, मार्च 2019 तक देश में 57.3 करोड़ रुपये बीएसबीडी अकाउंट थे, जिनमें से 35.27 करोड़ जनधन खाते थे।
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