अच्छी खबर : सितंबर में फैक्ट्री गतिविधियां तेजी से बढ़ीं, टूटा साढ़े 8 साल का रिकॉर्ड
नयी दिल्ली। भारत की फैक्ट्री गतिविधियां सितंबर में साढ़े 8 सालों में सबसे तेजी से बढ़ी हैं। नए ऑर्डर और प्रोडक्शन में तेज बढ़ोतरी से फैक्ट्री गतिविधियों को सहारा मिला। आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अगस्त में 52 से बढ़ कर सितंबर में 56.8 पर पहुंच गया। जून में लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील के बाद से ये सेक्टर की स्थिति में सुधार के संकेत हैं। 50 से ऊपर एक रीडिंग विस्तार को इंगित करता है, जबकि नीचे संकेत संकुचन है।
क्या रही वजह
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार एक सर्वे के मुताबिक निर्माताओं ने सितंबर में प्रतिबंध में ढील और हाई डिमांड के बीच लगातार दूसरे महीने आउटपुट बढ़ाया। एक एक्सपर्ट के अुसार भारतीय विनिर्माण उद्योग सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। सितंबर के लिए पीएमआई डेटा से कई सकारात्मक चीजें सामने आई हैं। ये वृद्धि काफी तेज रही और इस सर्वे के इतिहास में तीसरी सबसे तेज रही। 2012 की शुरुआत से ये बढ़ोतरी की दर सबसे तेज रही। इसी तरह नए कारोबार में बैक-टू-बैक बढ़ोतरी हुई।
निर्यात में भी हुआ इजाफा
इसके अलावा लगातार 6 महीने गिरावट के बाद निर्यात में भी तेजी आई। इनपुट खरीदारी भी अधिक रेट पर हुई और कारोबारी विश्वास भी बढ़ा। इनपुट खरीद में वृद्धि साढ़े आठ साल में सबसे मजबूत दर्ज की गयी। वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में पीएमआई का औसत जून तिमाही में 35.1 से बढ़ कर 51.6 हो गया। इससे पहले 30 जून 2020 को समाप्त तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड 23 फीसदी की गिरावट आई थी। स्वतंत्र अर्थशास्त्रियों के एक सर्वेक्षण में दूसरी तिमाही में 8-15.6 फीसदी के गिरावट का अनुमान लगाया गया है।
रोजगार पर खतरा बरकरार
एक क्षेत्र जो पिछड़ रहा है वो रोजगार। कुछ कंपनियों को श्रमिकों को काम पर रखने में कठिनाई हो रही है। वहीं कुछ को सोशल डिस्टेंसिंग के कारण अपने स्टाफ की संख्या को न्यूनतम रखना पड़ रहा है। नए ऑर्डर में मजबूत वृद्धि के बावजूद भारतीय सामान उत्पादकों ने पेरोल संख्या में फिर कमी का संकेत दिया।
लगातार छठे महीने घटा 8 कोर इंडस्ट्रीज का प्रोडक्शन, महंगाई भी हुई कम