अमीर हो रहे और अमीर, जम कर खरीद रहे Luxury Goods, गरीब की हालत खराब
नई दिल्ली, सितंबर 27। देश में जहां एक तरफ महंगाई दर 7 प्रतिशत के आसपास बनी हुई हैं और बेरोजगारी भी बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। वही त्यौहारों के सीजन की जैसे ही शुरुआत हो गई हैं। वैसे ही लक्जरी सामानों पर लोग बहुत अधिक पैसा खर्च कर रहें हैं और ये कुछ और ही कहानी कह रही हैं। इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं देश में प्रति व्यक्ति आय करीब 1.5 लाख रूपये हैं। कंज्यूमर गुड्स कंपनी की माने तो ऐसे प्रोडक्ट की मांग बहुत अधिक हैं। जिसकी कीमत 1.5 लाख रूपये के आसपास हैं। दूसरी तरफ यदि हम 7 से 8 हजार रूपये की कीमत वाले फोन यानी बजट फोन और मोटर साइकिल की बिक्री का औद्योगिक आंकड़ा देखेंगे तो हमको इसमें पता चलेगा। कि इसकी मांग में कमजोरी आई हैं। ये जो प्रोडक्ट हैं कम आय वाले लोग की मांग की तरफ इशारा करती हैं।
एक और कंपनी Mukesh Ambani बनाएंगे अपनी, दिवाली तक होगा सौदा
इजाफा हो रहा हैं लक्जरी प्रोडक्ट्स की मांग में
ब्लूमबर्ग ने क्विंडागो के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट सतीश एनएस के हवाले से कहा गया हैं कि देश के कस्टमर्स का ध्यान प्रीमियम और लक्जरी वस्तु की तरफ अधिक बढ़ रहा हैं। महंगे प्रोडक्ट की बिक्री कम कीमत वाले प्रोडक्ट से अधिक हैं। इसी वजह से हम टॉप एंड प्रोडक्ट्स पर अधिक फोकस कर रहे हैं।
अर्थव्यवस्था की ग्रोथ प्राइवेट डिमांड पर 60 प्रतिशत निर्भर करता हैं
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, देश को अर्थव्यवस्था की जो ग्रोथ हैं। प्राइवेट डिमांड पर 60 प्रतिशत निर्भर करता हैं। महंगाई के कारण ब्याज की दरें बढ़ी हैं। इससे उपभोक्ताओं की मांग प्रभावित हुई हैं। ब्लूमबर्ग इकॉनोमिक्स के अभिषेक गुप्ता ने कहा जब भारत की अर्थव्यवस्था की हालत सही चल रही होती हैं तो ओवरऑल ग्रोथ इस तरह की असामनता से छिप जाती है।
30 प्रतिशत खर्च करते हैं जरूरी सामान की खरीददारी पर
जिंदगी जीने का खर्च बढ़ा हैं इसलिए औसत लोगों का खर्च भी घटा है। बांका संतंदीर एसए के आंकड़ों के मुताबिक, देश के लोग अपनी कुल इनकम का 30 प्रतिशत अनिवार्य वस्तुओं जैसे खाने पीने में खर्च करते हैं।
क्या अच्छी हैं इस तरह के प्रीमियम प्रोडक्ट की मांग
अब सभी लोगों के मन में ये सवाल तो आता ही होगा। कि प्रीमियम प्रोडक्ट की मांग अधिक होना। क्या बेहतर आर्थिक स्थिति की ओर संकेत करता है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के चीफ इकॉनोमिस्ट देवेंद्र पंत में इस बारे में ब्लूमबर्ग से कहा हैं कि अर्थव्यवस्था की ऐसी रिकवरी जिसमें बहुत अधिक हिस्सेदार शहरों के हो। बहुत अधिक चिंताजनक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह कि ग्रोथ स्थिर हो सकती है, इसका संदेह हैं।