26 तिमाहियों के निचले स्तर पर पहुँची सकती है जीडीपी विकास दर
नयी दिल्ली। 2019 की जुलाई-सितंबर में भारत की जीडीपी विकास दर 26 तिमाहियों के निचले स्तर पर पहुँच सकती है। रॉयटर्स के एक पोल में बताया गया है कि जुलाई-सितंबर तिमाही भारत की विकास दर 4.7% तक गिर सकती है, जो अप्रैल-जून में 5% रही थी। अप्रैल-जून में रही 5% विकास दर 6 सालों में सबसे कम थी। अर्थशास्त्रियों के एक सर्वेक्षण के मीडियन के हवाले जानकारी दी गयी है। सर्वेक्षण में जीडीपी ग्रोथ रेट के गिरने के कारणों में उपभोक्ता माँग और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के कमजोर होने के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक मंदी की वजह से निर्यात के प्रभावित होने का जिक्र किया गया है। गौरतलब है कि 2018 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की विकास दर 7% रही थी। यदि विकास दर 4.7% तक फिसली तो पिछले साढ़े 6 सालों में कम होगी। केंद्र सरकार आधिकारिक तौर पर शुक्रवार 29 नवंबर को जुलाई-सितंबर तिमाही के आर्थिक विकास आँकड़े जारी करने जा रही है।
4% तक गिरावट का भी अनुमान
रॉयटर्स के सर्वेक्षण में विकास दर के 4.7% तक घटने का अनुमान लगाया गया है। मगर दो टीवी चैनलों ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि भारत की विकास दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 4% ही रह सकती है। विकास दर के निचले स्तरों पर नजर डालें तो 2013 की जनवरी-मार्च तिमाही में यह 4.3% रही थी। देश में आर्थिक सुस्ती पिछली कई तिमाहियों से जारी है। सरकार ने इससे निपटने के लिए कई कदम भी उठाये हैं, जिनमें निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में की गयी कटौती शामिल है। वहीं बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा कि वृद्धि दर बेशक सुस्त हुई है, मगर अर्थव्यवस्था में मंदी नहीं है।
आरबीआई घटा सकता है रेपो रेट
रॉयटर्स के सर्वेक्षण में यह भी अनुमान लगाया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक 3 से 5 दिसंबर को होने जा रही अपनी मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो रेपो दर घट कर 4.90% रह जायेगी। साथ ही यह लगातार छठी बार होगा जब आरबीआई अपनी हर दो महीने में होने वाली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट घटाये। मौजूदा रेपो रेट 5.15% है। आरबीआई 2019 में अब तक रेपो दर 135 बेसिस पॉइंट कम कर चुका है। बहरहाल यदि कल आने वाले आर्थिक आँकड़ों में विकास दर घटी तो यह लगातार छठी तिमाही होगी, जिसमें विकास दर कम हुई हो। 2012 के बाद यह पहला मौका होगा जब इतनी तिमाहियों में लगातार विकास दर घटे।
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