GDP Data : ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन में हुई बढ़ोतरी, जानिए कितनी
नई दिल्ली, नवंबर 30। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत का ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (जीएफसीएफ) सालाना 11 प्रतिशत बढ़ कर 11,429.07 अरब रुपये हो गया। भारत के जीएफसीएफ में वृद्धि, जो कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दूसरा सबसे बड़ा घटक है, कोविड-19 की दूसरी लहर के बावजूद आई, जिससे देश में लॉकडाउन लगाना पड़ा था। जीएफसीएफ को निजी निवेश के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में उपयोग किया जाता है और इसमें एक निश्चित अवधि के दौरान फिक्स्ड एसेट्स में रेसिडेंट प्रॉड्यूसर्स का निवेश शामिल होता है।
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जीडीपी में हिस्सेदारी
देश का जीएफसीएफ 2021-22 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी में 32 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में यह 31.2 प्रतिशत रहा था। वहीं 2019-20 की दूसरी तिमाही में जीएफसीएफ जीडीपी का 28.9 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी। इस बात का खुलासा 30 नवंबर को जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों में हुआ है। पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कोरोना से लगे झटके के मुकाबले ये आंकड़े काफी बेहतर है। पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
कैसा रहा जीवीए
पिछले वर्ष की समान तिमाही में (-)7.3 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि की तुलना में दूसरी तिमाही में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जीवीए में, विशेष रूप से, पिछली तिमाही में 18.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में 19.35 प्रतिशत की तेजी से वृद्धि हुई थी।
कॉन्सटैंट प्राइस में जानिए
2020-21 की दूसरी तिमाही में 32.97 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 2021-22 दूसरी तिमाही में कॉन्सटैंट प्राइस पर जीडीपी 35.73 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार यह जीडीपी में 7.4% गिरावट की तुलना में 8.4% की वृद्धि दर्शाता है।