प्रणव मुखर्जी आर्थिक बदलावों से खुश, कहा जीडीपी को चिंतित नहीं
कोलकाता। देश की जीडीपी को लेकर मच रही हायतौबा के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि वह इसको लेकर चिंतित नहीं हैं। ध्यान रहे कि राष्ट्रपति बनने के पूर्व मुखजी देश के वित्तमंत्री भी रह चुके हैं। उनको देश का एक बहुत ही सफल वित्तमंत्री माना जाता है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का मानना है कि अर्थव्यवस्था में आए स्लोडाउन से चिंतित नहीं, बल्कि कुछ चीजें ऐसी हो रही हैं, जिनका अर्थव्यवस्था पर असर अब दिख रहा है। उन्होंने कहा कि इस कारण किसी को घबड़ाने की जरूरत नहीं है।
जानिए बैंकों को लेकर क्या कहा
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बैंकों के रिकैपिटलाइजेशन को सही कदम बताते हुए कहा कि अगर सरकार बैंकों में पूंजी डाल रही है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। श्री मुखर्जी यहां भारतीय सांख्यिकी संस्थान के एक कार्यक्रम में बाले रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में जीडीपी ग्रोथ में गिरावट से मैं चिंतित नहीं हूं। कुछ चीजें हो रही हैं, जिनका असर देखने को मिल रहा है। बैंकिंग सेक्टर को लेकर उन्होंने कहा कि 2008 के आर्थिक संकट के दौरान बैंकों ने मजबूती दिखाई थी। उन्होंने कहा कि उस वक्त मैं वित्त मंत्री थी और किसी भी बैंक ने पैसों की मांग नहीं की थी। लेकिन अब बैंकों में बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत है, और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
लोकतंत्र में संवाद जरूरी बताया
वहीं पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि लोकतंत्र में संवाद बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में डेटा की विश्वनीयता जरूरी है। उन्होंने कहा कि इससे कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। मुखर्जी ने कहा कि यदि ऐसा होता है, तो इसके विपरीत असर देखने को मिलते हैं। योजना आयोग को लेकर उन्होंने कहा कि मैं खुश हूं कि नीति आयोग भी उसकी कुछ नीतियों को आगे बढ़ाने पर काम कर रहा है।
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