पेंशन के नियमों में बदलाव पर भड़के पूर्व अधिकारी, लिखा डाली PM Modi को चिट्ठी
नई दिल्ली, जुलाई 18। 109 पूर्व सिविल सेवकों के एक समूह ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पेंशन नियमों में बदलाव पर पत्र लिखकर कहा कि वे हैरान और परेशान हैं। उनके अनुसार नियमों में हालिया बदलाव उन्हें "चुप्पी कराने" की कोशिश लगता है। दरअसल संशोधित नियमों के तहत यदि रिटायर्ड कर्मचारियों ने खुफिया या सुरक्षा से संबंधित संगठनों में काम किया हो और रिटायरमेंट के बाद कुछ लिखना या छापना चाहते हैं तो उन्हें संगठन के प्रमुख से मंजूरी लेना जरूरी होगा।
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लेनी होगी इजाजत
पूर्व कर्मचारियों की तरफ से पीएम को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि संगठन के डोमेन से संबंधित मामलों पर लिखने के लिए अब उन्हें अनुमति लेनी होगी। पूर्व सेवकों की दलील है कि रिटायर्ड नौकरशाहों की अपनी सेवा के दौरान किए गए कामों के बारे में लेख लिखने या अपनी जानकारी का इस्तेमाल करके मौजूदा मुद्दों पर बोलने की प्रथा यूनिवर्सल है। इसे पूरी दुनिया में प्रशंसा मिलती है।
नहीं समझ आई जरूरत
पूर्व सिविल सेवकों ने कहा कि वे यह नहीं समझ पा रहे कि केंद्रीय पेंशन नियमों में इस तरह के संशोधन की आवश्यकता क्यों थी, जबकि पहले से ही एक आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 मौजूद है और राज्य इसके तहत उन अधिकारियों और पूर्व अधिकारियों पर मुकदमा चला सकता है जो उस सूचना का खुलासा करते हैं जो कि राज्य के लिए हानिकारक है।
हो सकती है कार्रवाई
पत्र में कहा गया है यदि कुछ मामलों के बारे में लिखना गंभीर मामला है, तो सरकार निश्चित रूप से कानून के अनुसार पूर्व अधिकारी को उसकी पेंशन से वंचित करने के लिए कार्रवाई कर सकती है। पूर्व सिविल सेवकों ने लिखा है कि जिन अधिकारियों ने सुरक्षा संबंधी मामलों में जीवन भर बिताया है, उनके गैर-जिम्मेदार होने और संवेदनशील रहस्यों को उजागर करने की संभावना नहीं है। पूर्व सिविल सेवकों ने ये भी कहा कि उनका मानना है कि नए नियमों के निर्माताओं ने आदेश के परिणामों के बारे में नहीं सोचा है।