विदेशी निवेशक : लगातार दूसरे महीने भारत में जमाए पैर, जानिए कैसे
नयी दिल्ली। कोरोनोवायरस वैक्सीन की आशा के बीच विदेशी निवेशकों ने जुलाई में भारतीय कैपिटल मार्केट में 3,301 करोड़ रुपये का निवेश किया। ये लगातार दूसरा महीना रहा जिसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शुद्ध खरीदार रहे। यानी जून के बाद जुलाई में भी एफपीआई ने कैपिटल मार्केट में बिकवाली से अधिक खरीदारी की। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक 1-31 जुलाई के बीच एफपीआई की तरफ से इक्विटी में 7,563 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया गया, जबकि डेब्ट सेगमेंट में से 4,262 करोड़ रुपये निकाले गए। इस तरह जुलाई में शुद्ध निवेश रहा 3301 करोड़ रु।
जून में भी किया था भारी निवेश
विदेशी निवेशकों ने जुलाई से पहले जून में भी भारतीय कैपिटल मार्केट में अच्छा खासा निवेश किया था। एफपीआई की तरफ से जून में भारतीय कैपिटल मार्केट में 24053 करोड़ रु का निवेश किया गया था। जहां तक जुलाई में एफपीआई द्वारा निवेश की बात है तो एक्सपर्ट कहते हैं कि कई वजहों से शेयर बाजार ऊपर चढ़ा, जिससे एफपीआई ने भारतीय बाजार में जम कर पैसा लगाया। जिन वजहों से भारतीय बाजार ऊपर चढ़ा उनमें कोरोना की वैक्सीन की उम्मीद प्रमुख है।
पैसा लगाया मगर रहे सतर्क
हालांकि जून के मुकाबले जुलाई में एफपीआई ने बेहद कम पैसा निवेश किया। इस पर जानकार कहते हैं कि भारत में निवेश करते समय एफपीआई ने "सतर्क रुख" अपनाया क्योंकि कोरोना मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसके चलते कई राज्यों ने नए सिरे से लॉकडाउन लागू किया। इससे चिंता बनी कि घरेलू अर्थव्यवस्था में वृद्धि में और देरी हो सकती है। जुलाई के अंतिम सप्ताह में उभरते बाजारों (Emerging Markets) में एफपीआई का रुख मिला-जुला। इसमें भारत और दक्षिण कोरिया के अलावा बाकी देशों में एफपीआई ने बिकवाली की।
शुरुआती 2 हफ्तों में बिकवाली की
17 जुलाई को खत्म हुए हफ्ते तक एफपीआई ने भारतीय बाजार से 9015 करोड़ रु निकाले थे। मगर 24 जुलाई को खत्म हुए हफ्ते में आंकड़े एक दम से बदल गए। जहां 17 जुलाई तक एफपीआई ने 9015 करोड़ रु निकाले थे, वहीं 24 जुलाई तक ये आंकड़ा सिर्फ 86 करोड़ रु रह गया। यानी 17 से 31 जुलाई के दौरान एफपीआई ने काफी पैसा भारतीय कैपिटल मार्केट में लगाया।
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