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FM Press Conference : निर्मला सीतारमण ने एंट्रिक्स देवास केस में यूपीए को घेरा

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नई दिल्ली, जनवरी 18। आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस (पीसी) की। पीसी में केंद्रीय मंत्री ने एंट्रिक्स देवास केस में यूपीए सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) के दौरान एंट्रिक्स देवास सौदे पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह भारत के खिलाफ धोखाधड़ी थी। वित्त मंत्री के अनुसार सौदे से संबंधित घोटाले में यूपीए के मौजूदा मंत्री को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान भारत के संसाधनों की खुलेआम बिक्री हुई और केंद्रीय मंत्रिमंडल को इस सौदे की जानकारी भी नहीं थी।

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला

वित्त मंत्री ने कहा कि वह अंतरिक्ष देवास पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहती हैं। सीतारमण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने देवास का लिक्विडेशन करने के एनसीएलएटी, एनसीएलटी के आदेश को बरकरार रखा। हमें जो आदेश दिया गया वह बहुत व्यापक है। वित्त मंत्री ने कहा कि 2011 में, जब सब कुछ रद्द कर दिया गया था, देवास ने इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन का रुख किया। यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कभी मध्यस्थ नियुक्त नहीं किया, जबकि 21 दिनों के भीतर मध्यस्थ नियुक्त करने के लिए तत्कालीन सरकार को याद दिलाया गया, लेकिन सरकार ने नियुक्त नहीं किया।

2005 की है डील
वित्त मंत्री ने कहा 2005 में जब ये डील हुई थी, तो वह अपने आप में बेहद विवादास्पद थी। उन्होंने आरोप लगाया कि डील और सुप्रीम कोर्ट का हालिया आदेश दोनों दर्शाते हैं कि कैसे यूपीए ने गलत व्यवहार किया। उन्होंने कहा कि यह सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ किया गया था। मीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार हर कोर्ट में लड़ रही है ताकि देवास किए गए एंट्रिक्स डील फ्रॉड में बच न सके।

क्या है आगे का प्लान

क्या है आगे का प्लान

वित्त मंत्री ने जानकारी दी है कि अब लिक्विडेटर नियुक्त किया गया है और समापन प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम करदाताओं के पैसे बचाने के लिए लड़ रहे हैं जो कि वरना एंट्रिक्स-देवास सौदे के लिए भुगतान करने के लिए चला जाता।

क्या है पूरा मामला
देवास एक मल्टी मीडिया कंपनी है, जो उपग्रह आधारित सेवाएं देती है। एंट्रिक्स सरकारी कंपनी और इसरो की फाइनेंस यूनिट है और यह अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत आती हैं। बात 2005 की है, जब एंट्रिक्स और देवास में एक समझौता हुआ। समझौते के तहत देवास को मोबाइल यूजर्स को मल्टीमीडिया सेवाएं मुहैया करानी थीं, जिसके लिए एंट्रिक्स से लीज पर लिए गए एस-बैंड उपग्रह का उपयोग होना। मगर 2011 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने समझौता रद्द कर दिया। क्योंकि यूपीए सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एस-बैंड चाहती थी। सरकार ने नियमों का पालन न करने, हितों के टकराव, पक्षपात और वित्तीय कुप्रबंधन का हवाला देकर सौदा रद्द किया था।

आगे क्या हुआ

आगे क्या हुआ

देवास ने मध्यस्थता का रास्ता चुना और परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में अर्जी लगाई। वहां फैसला सुनाया गया कि एंट्रिक्स को देवास को बतौर मुआवजा 1.6 अरब डॉलर (इसमें कॉस्ट और ब्याज शामिल है) देने होंगे। देवास के अनुसार इसे एक ऑर्डर मिला है, जो एयर इंडिया की 3 करोड़ डॉलर की संपत्ति जब्त करने की अनुमति देता है। ये आदेश कनाडा की एक अदालत का है।

अब क्या करेगी सरकार

अब क्या करेगी सरकार

कनाडा और भारत प्रतिबंधात्मक प्रतिरक्षा को फॉलो करते हैं, जिसका मतलब होता है कि कोई राज्य एक निश्चित सीमा तक अन्य राज्य (या देश) की अदालतों के अधिकार क्षेत्र से मुक्त है। भारत या तो कनाडा की अदालत को माने या आगे की कार्रवाई करे। मगर अब मौजूदा सरकार भारतीय सुप्रीम कोर्ट के देवास के लिए दिए गए फैसले को आधार बना कर देवास से मुकाबला करेगी। वित्त मंत्री ने कहा है कि पूरे घोटाले के पीछे कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार है।

English summary

FM Press Conference Nirmala Sitharaman slams UPA in Antrix Devas case

she said that during the Congress government, India's resources were sold openly and the Union Cabinet was not even aware of the deal.
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