झटका : 30 सालों के निचले स्तर पर पहुंच सकती है भारत की विकास दर
नयी दिल्ली। कोरोनावायरस भारतीय अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। वायरस को फैलने के रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन से कारोबार बंद हैं, जो अर्थव्यवस्था के लिए झटका है। कई रेटिंग एजेंसियां भारत की अनुमानित विकास दर घटा चुकी हैं। इसी बीच एक और रेटिंग एजेंसी फिच ने भी भारत की विकास दर में भारी कटौती की है। फिच के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की विकास दर 2 फीसदी रह सकती है, जो पिछले सालों में सबसे कम है। फिच ने पहले 2020-21 के लिए भारत की विकास दर 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। फिच ने भी कोरोनावायरस महामारी और इसके कारण चल रहे लॉकडाउन को ही इसका जिम्मेदार बताया है। फिच के मुताबिक लॉकडाउन के कारण आर्थिक मंदी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को जकड़ लिया। फिच के मुताबिक चीन में लॉकडाउन से क्षेत्रीय मैन्युफैक्चरिंग आपूर्ति चेन में अड़चन आई। हालांकि अब चीन में काम फिर से शुरू हो रहा है।
आएगी वैश्विक आर्थिक मंदी
फिच का अनुमान है कि इस साल एक वैश्विक आर्थिक मंदी आएगी। फिच के अनुसार इस साल एक वैश्विक मंदी की संभावना है। इसने मार्च 2021 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर को 2 प्रतिशत तक घटा दिया, जिसके लिए पहले 5.1 प्रतिशत का अनुमान लगाया था। 20 मार्च को फिच ने 2020-21 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि के लिए अनुमान घटा कर 5.1 प्रतिशत किया था। इससे पहले इसने दिसंबर 2019 में अनुमानित विकास दर 5.6 प्रतिशत रखी थी। फिच के मुताबिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम और सर्विस सेगमेंट को उपभोक्ता खर्च कम होने से सबसे अधिक झटका लगने की संभावना है।
भारत मंदी से बच सकता है
यूनाइटेड नेशंस (यूएन) की हाल ही में आई एक नयी रिपोर्ट के अनुसार कोरोनोवायरस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था इस साल मंदी में चली जाएगी और ग्लोबल इनकम में खरबों डॉलर का नुकसान होगा। मगर यूएन के मुताबिक भारत और चीन वे अपवाद हैं जो वैश्विक मंदी से बचे रह सकते हैं। हालाँकि यूएन की रिपोर्ट में इस बात की विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है कि भारत और चीन क्यों और कैसे सुरक्षित रहेंगे, जबकि दुनिया को वैश्विक मंदी और नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जो विकासशील देशों को प्रभावित करेगा।
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