खर्च बढ़ने से मोदी सरकार परेशान, राजकोषीय घाटा काबू से बाहर
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा पहली छमाही में ही वार्षिक अनुमान से ऊपर निकल गया है। राजस्व प्राप्ति कम रहने से सितंबर समाप्त हुई छमाही में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 114.8 प्रतिशत तक पहुंच गया है। कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं। यही वजह है कि पहली छमाही में राजस्व प्राप्ति भी प्रभावित हुई और राजकोषीय घाटा 9.14 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। बजट में 2020-21 में राजकोषीय घाटे के 7.96 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था।
जीएजी ने जारी किए आंकड़े
सरकार के महालेखा नियंत्रक (सीएजी) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020- 21 की अप्रैल से सितंबर अवधि के दौरान केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा 9,13,993 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है। इससे पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 92.6 प्रतिशत के स्तर पर था। वहीं इस साल यह 114.8 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है।
तेजी से बढ़ा है राजकोषीय घाटा
सरकार को मिलने वाले कुल राजस्व और उसके कुल खर्च के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। वास्तव में इस साल जुलाई में ही राजकोषीय घाटा वार्षिक अनुमान के बराबर पहुंच गया था। इस वित्त वर्ष में सितंबर तक सरकार को कुल 4,58,508 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो पाया है। यह राशि अनुमानित वार्षिक राजस्व का 25.18 प्रतिशत ही है। पिछले वित्त वर्ष में सितंबर तक यह प्राप्ति वार्षिक अनुमान का 40.2 प्रतिशत रही थी। सीएजी के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तक प्राप्त राजस्व में केन्द्र को शुद्ध रूप से 4,58,508 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई। इसमें से 92,274 करोड़ रुपये गैर- कर राजस्व और 14,635 करोड़ रुपये गैर- रिण पूंजी प्राप्ति रही। गैर- रिण पूंजी प्राप्ति में 8,854 करोड़ रुपये कर्ज वसूली और 5,781 करोड़ रुपये विनिवेश प्राप्ति के रूप में प्राप्त हुये हैं।
पत्नी हो जाएगी करोड़पति, 3000 रु से शुरू करें निवेश