QR Code से पता लगाएं दवा असली है या नकली, मिनटों में चेक करें
नई दिल्ली, अक्टूबर 3। कौन सी दवाई असली हैं और कौन सी दवाई नकली हैं। इसकी पहचान करना बेहद मुश्किल हो जाता हैं। मगर जल्द ही आपकी यह समस्या समाप्त होने वाली हैं। ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म पर सरकार काम कर रही हैं। जिसकी सहायता से नकली दवाइयों पर रोक लगाया जा सकेगा। इसके लिए दवाइयों की प्राइमरी पैकेजिंग में एक क्यूआर कोड लगाया जाएगा। जिसकी सहायता से आसानी से नकली और असली दवाइयों में फर्क पता लगाया जा सकेगा।
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शुरू में 300 दवाइयों को इस दायरे में लाया जाएगा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शुरू में सबसे अधिक बिकने 300 दवाइयों को इसके दायरे में लाया जाएगा। फर्स्ट लेवल प्रॉडक्ट पैकेजिंग यानी प्राइमरी यानी कैन, बॉटल, जार या ट्यूब से हैं। जिसमें सेल होने वाला समान होता हैं। माना जा रहा हैं। पहले बहुत प्रसिद्ध दवाओं के लिए इसकी व्यवस्था की जा सकती हैं। जिन दवाइयों की कीमत 100 रूपये से अधिक हैं। इनमे एंटीबायटिक, कार्डियक, पेन रिलीफ पिल्स और एंटी एलर्जिक दवाएं शामिल हैं।
मामले नकली दवाइयों के
देश में बहुत बार नकली दवाइयों का मामला आते रहता हैं। नकली दवाई बनाने वालो का पर्दाफाश हिमाचल प्रदेश के बद्दी में हुआ था। वो जो रैकेट था वो ग्लेनमार्क की ब्लड प्रेशर की दवा टेल्मा - एच बना रहा था। विश्व स्वास्थ संघठन (डब्लूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कम आबादी वाले देशों में और गरीब देशों में 10 फीसदी मेडिकल प्रोडक्ट्स नकली और घटिया हैं।
व्यवस्था कैसे काम करेगी
दवा कंपनियों को जून के समय कहा गया था कि वह अपनी प्राइमरी या सेकेंडरी पैकेजिंग पर क्यूआर कोड लगाए। इस क्यूआर कोड में प्रोडक्ट की सारी जानकारी होगी। इस क्यूआर कोड की सहायता से ग्राहक सारी जानकारी का पता लगा सकता है। कि ये दवाई असली हैं या फिर ये दवाई नकली हैं। मीडिया रिपोट्स के अनुसार, पूरी इंडस्ट्री के लिए एक सेंट्रल डेटाबेस एजेंसी का गठन किया जा सकता है। जो एक सिंगल बारकोड प्रोवाइडर का काम करेगी।