बजट 2020 : इस बार ये हैं आम आदमी की उम्मीदें
केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट 1 फरवरी 2020 को पेश होगा।
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट 1 फरवरी 2020 को पेश होगा। देश के करोड़ों लोगों की निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी, 2020 को प्रस्तुत किये जानेवाले वित्त वर्ष 2020-21 के बजट की ओर लगी हुई है। नये बजट के तहत सरकार की चुनौती यह भी है कि सरकार के पास आर्थिक सुस्ती से निपटने और सभी वर्ग के लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए संसाधनों की भारी कमी है। विकास दर पांच फीसदी के निम्न स्तर पर तथा बजट में निर्धारित राजकोषीय घाटा (फिजिकल डेफिसिट) जीडीपी के 3.3 फीसदी से बढ़कर करीब 3.6 फीसदी के स्तर पहुंच गया है। ऐसे में वर्ष 2020-21 के आगामी बजट में अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के ठोस प्रावधान करने होंगे।
बढ़ते आर्थिक संकट को थामने के लिए 20 सितंबर को वित्त मंत्री सीतारमण ने कॉरपोरेट टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया। उससे उद्योग को लाभ मिलेगा। मोदी सरकार ने हालांकि आम नौकरीपेशा लोगों की पांच लाख रुपये तक की कर योग्य आय को पहले ही करमुक्त कर दिया है, लेकिन आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि मौजूदा आयकर स्लैब के मुताबिक ढाई लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं है, जबकि 2.50 लाख से पांच लाख पर पांच फीसदी, पांच से 10 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से अधिक की कमाई पर 30 फीसदी की दर से आयकर लगता है।
बजट में इस बार मनरेगा योजना के लिए अतिरिक्त धन मिल सकता है। निश्चित रूप से नये बजट में कृषि क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने को सरकार उच्च प्राथमिकता देगी। नये बजट में उन स्टार्टअप को मदद मिलेगी, जो कृषि उत्पादों के लिए बाजार प्रदान करने तथा उचित मूल्य पर अंतिम उपभोक्ताओं को आपूर्ति करने में मदद कर रहे हैं।
इस बजट से महिलाओं को भी काफी उम्मीदें हैं। पिछले बजट की बात करें तो सरकार ने महिलाओं के लिए कई घोषणाएं की थीं, इस बार महिलाओं को बजट से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें हैं। पिछली बार के बजट में महिला सुरक्षा को लेकर कई घोषणाएं हुई थीं। इस बार के बजट में महिलाओं को अपने किचन के सस्ता होने पर पूरा जोर है। बजट 2020 से महिलाएं चाहती हैं कि उनके घर का खर्च आराम से चले। इसमें दाल, चावल, गेहूं, फल, चीनी, सब्जी, तेल जैसी रोजाना के इस्तेमाल होने वाली चीजों पर कम पैसे खर्च करने पड़ें। ऐसे में हम यह कह सकते है कि महिलाओं के साथ आम आदमी को भी उम्मीद है कि सरकार इसे लेकर भी आम बजट में कुछ राहत देगी।
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