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चीन के खिलाफ भारत ने लगाया 50 हजार करोड़ रु का दांव, जानिए नफा और नुकसान

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नई दिल्ली। मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक बड़ी योजना की शुरुआत की है। यह योजना जिस समय शुरू हो रही है, उससे चीन की दिक्कत बढ़ना भी तय। इस समय कोरोना महामारी के बाद दुनिया में जो माहौल है, उस में चीन में कार्यरत कंपनियां काफी परेशान हैं। लेकिन जिस तरह की सुविधाएं चीन में उनको मिलती हैं, वह अन्य जगहों पर नहीं मिल पाती हैं। ऐसे में भारत सरकार ने एक रास्ता निकाला है। सरकार ने तय किया है जो कंपनियां देश में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग करेंगी, उनको कैशबैक दिया जाएगा। यह इतना बड़ा ऑफर है कि दुनिया की ज्यादातर बड़ी कंपनियां भारत आने को राजी हो सकती है। सरकार ने इस योजना के तहत आज से आवेदन लेना भी शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि 2 माह के अंदर ही इस योजना के तहत चुनी गई कंपनियों के नाम की घोषणा हो जाएगी। अगर ऐसा होता है तो यह चीन के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। इस योजना को और प्रभावशाली बनाने के लिए सरकार ने एप्पल जैसी कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने के लिए प्लांट इवैल्यूएशन की शर्त को भी हटा दिया है।

 

जानिए योजना का आकार

जानिए योजना का आकार

इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए यह योजना करीब 6.7 बिलियन डॉलर (करीब 50 हजार करोड़ रुपए) की है। मोदी सरकार ने सब्सिडी देने के लिए कंपनियों से आवेदन मंगाने शुरू कर दिया है। सरकार को उम्मीद है इससे करीब 8 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। इस योजना में 5 ग्लोबल स्मार्टफोन निर्माता को देश में प्रोडक्शन बढ़ाने और उसके विस्तार के लिए कई तरह की छूट दी जाएंगी। मोदी सरकार में मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई)आधार पर 4 से 6 फीसदी कैश ऑफर किया जाएगा। कंपनियां इस ऑफर का फायदा अगले 5 साल तक घरेलू निर्मित गुड्स की बिक्री के आधार पर ले सकेंगी। इस योजना के लिए 2019-20 को आधार वर्ष तय किया गया है। सरकार के नए प्लान के तहत कंपोनेंट के प्रोडक्शन को बढ़ाने और मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर को बनाने के लिए पहले से बनी फैक्टरी और कॉमन फैसिलिटी का इस्तेमाल किया जाएगा। जिससे तत्काल प्रभाव से पार्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की जा सके। 

ऐसे होगा कंपनियों का चयन
 

ऐसे होगा कंपनियों का चयन

मोदी सरकार की तरफ से जिन 5 कंपनियों को यह छूट दी जाएगी, उनका चयन घरेलू स्तर पर निवेश और बिक्री के आधार पर किया जाएगा। सरकार इन 5 स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों का ऐलान अगले दो माह में कर देगी। इन कंपनियों को पीएलआई योजना के आधार पर चुना जाएगा। इसके अलावा स्मार्टफोन निर्माताओं को दो अलग तरह की छूट और दी जाएंगी। इस योजना के तहत कंपनियां 2025 तक यह कैशबैक का फायदा ले पाएंगी। सरकार को उम्मीद है कि स्मार्टफोन और उसके कंपोनेंट उत्पादन का कारोबार करीब 10 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है। 

भारत बन सकता है स्मार्टफोन का एक्सपोर्ट हब

भारत बन सकता है स्मार्टफोन का एक्सपोर्ट हब

मंत्री के अनुसार मेक इन इंडिया मुहिम जोर नहीं पकड़ पा रही थी। ऐसे में इस स्कीम से भारत में निमार्ण की क्षमता सुधरेगी। सरकार को लगता है कि देश स्मार्टफोन का एक्सपोर्ट हब बन सकता है। सैमसंग, ताइवान फर्म फैक्सकॉन और विस्ट्रान दोनों ने भारत के घरेलू प्रोडक्शन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ी दी है। यह कंपनियां एप्पल को पार्ट्स की सप्लाई करती हैं। 

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English summary

Electronic manufacturing India bets 50 thousand crores rupees against China

India has launched a Production Linked Incentive (PLI) scheme to promote electronic manufacturing.
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