अर्थव्यवस्था को झटका : जीडीपी का 4.6 फीसदी रहा राजकोषीय घाटा, जानिए कारण
नयी दिल्ली। अर्थव्यवस्था के लिए एक और बुरी खबर आई है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.6 फीसदी तक पहुंच गया। इसका मुख्य कारण सरकार की खराब राजस्व वसूली रहा। राजकोषीय घाटा, जो सरकारी राजस्व और खर्च के बीच का अंतर होता है, 3.8 फीसदी के संशोधित अनुमान से भी अधिक रहा। नियंत्रक महालेखाकार (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.59 फीसदी रहा, जबकि राजस्व घाटा 3.27 फीसदी रहा। आंकड़ों के मुताबिक प्रभावी राजस्व घाटा 2.36 प्रतिशत रहा।
क्या था वित्त मंत्री का अनुमान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में बजट पेश करते हुए 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटे के जीडीपी के 3.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था, जो मूल बजट अनुमान में 3.3 फीसदी से अधिक था। राजकोषीय घाटे में इतनी बढ़ोतरी मुख्य रूप से 2019-20 के दौरान सरकार के राजस्व संग्रह में कमी के कारण हुई है। साल के दौरान सरकार को अपने संशोधित अनुमान का सिर्फ 90 प्रतिशत इनकम या राजस्व हासिल हुआ।
कितनी रही सरकार की इनकम
मूल्य में देखें तो सरकार की कुल प्राप्तियां (राजस्व) 19.31 लाख करोड़ रुपये के अनुमान के मुकाबले 17.5 लाख करोड़ रुपये रहीं। वहीं सरकार के खर्चे 26.86 लाख करोड़ रुपये के रहे, जो इसके 26.98 लाख करोड़ रुपये के पहले के अनुमान से कम रहे। वित्त वर्ष के दौरान राजस्व घाटा जीडीपी का 3.27 प्रतिशत था, जबकि संशोधित अनुमानों में 2.4 फीसदी था।
7 सालों में सबसे अधिक रहा राजकोषीय घाटा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2019-20 में जीडीपी की 4.6 फीसदी रहा राजकोषीय घाटा पिछले सात सालों में सबसे अधिक रहा। 2012-13 में ये 4.9 फीसदी रहा था। इसके बाद 2013-14 में ये 4.48 फीसदी, 2014-15 में 4.1 फीसदी, 2015-16 में 3.87 फीसदी, 2016-17 में 3.49 फीसदी, 2017-18 में 3.46 फीसदी और 2018-19 में 3.34 फीसदी रहा था।
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