कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में इकोनॉमिक रिकवरी
कोरोना के कारण काफी लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अब चिंता का विषय ये है कि पिछले साल के लॉकडाउन से उबर रही अर्थव्यवस्था को दूसरी लहर ने आकर फिर झटका दे दिया है।
नई दिल्ली, मई 7। कोरोना के कारण काफी लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अब चिंता का विषय ये है कि पिछले साल के लॉकडाउन से उबर रही अर्थव्यवस्था को दूसरी लहर ने आकर फिर झटका दे दिया है। महामारी की दूसरी लहर से इकोनॉमिक रिकवरी बुरी तरह में प्रभावित हो रही है। वित्तवर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों के लिए दूसरी लहर ने खतरा पैदा कर दिया है। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को अप्रैल, 2021 के लिए इकोनॉमिक रिव्यू रिपोर्ट जारी की है, जिसमें अर्थव्यवस्था के दूसरी लहर की चपेट में होने की बात मानी है।
हालांकि बता दें कि अभी बुधवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मीडिया को संबोधित किया था और कहा था कि आरबीआई को नहीं लगता है कि अप्रैल, 2021 के ग्रोथ अनुमान में इस लहर के चलते कोई ज्यादा विचलन आएगा। उन्होंने कहा था कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए विस्तृत और तेज कदम उठाने की जरूरत है और सेंट्रल बैंक तेजी से बदलती स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
हाल ही में, वॉल स्ट्रीट ब्रोकरेज गोल्डमैन सैक्स ने वित्त वर्ष में 31 मार्च, 2022 तक भारत की आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को 11.1 प्रतिशत तक कम कर दिया, क्योंकि कई शहरों और राज्यों ने कोरोनोवायरस संक्रमण के प्रसार की जांच करने के लिए विभिन्न तीव्रता के लॉकडाउन की घोषणा की है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच सोल्यूशंस ने कहा हे कि कोविड-19 के मौजूदा बढ़ते संकट के भारत की हेल्थ सुविधाओं को डुबो दिया है। यही नहीं, लगता है कि व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। एजेंसी का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के इस दौर के बीच वित्त वर्ष 2021- 22 में भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ कम होकर 9.5 फीसदी रह सकती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था : 2021 में होगी 7.3 % की बढ़ोतरी
वित्त मंत्रालय की खास बातें-
कोरोना की दूसरी लहर के चलते अप्रैल में इकोनॉमिक रिकवरी की गति पहली वेव के बाद से धीमी हुई है।
दूसरी लहर ने वित्तवर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के लिए डाउनसाइड रिस्क (भविष्य के लाभ पर नुकसान का खतरा) पैदा कर दिया है। इस दौरान आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ सकती हैं।
हालांकि, कृषि क्षेत्र थोड़ी उम्मीद दे रहा है। आगामी फसल वर्ष में रिकॉर्ड अनाज के उत्पादन और मॉनसून के सामान्य रहने के अनुमान ने अर्थव्यवस्था को थोड़ा सहारा दिया है।
रूरल डिमांड के संकेतक भी अच्छे लक्षण दिखा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रैक्टर की बिक्री में 172 फीसदी और 36 फीसदी की दर से ग्रोथ दर्ज की गई है जो, क्रमश: मार्च 2020 और मार्च 2019 की दर से भी ज्यादा है।