दोहरा झटका : खुदरा के साथ थोक महंगाई दर भी बढ़ी, पहुंची 8 महीने के शिखर पर
नयी दिल्ली। आम जनता के लिए महंगाई के मोर्चे पर एक और बुरी खबर आई है। अक्टूबर में थोक महंगाई दर बढ़ी है। पिछले महीने थोक महंगाई दर बढ़ कर 1.48 फीसदी पर पहुंच गई, जो इसके पिछले 8 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है। थोक महंगाई के साथ-साथ पिछले महीने खुदरा महंगाई भी बढ़ी। यानी आम जनता को महंगाई के मामले में दोहरा झटका लगा। बता दें कि सितंबर में थोक महंगाई दर 1.32 फीसदी रही थी। वहीं पिछले साल अक्टूबर में देखें तो ये जीरो फीसदी ही थी। इस साल फरवरी में थोक महंगाई 2.26 फीसदी पर थी। फरवरी के बाद अक्टूबर में रही 1.48 फीसदी थोक महंगाई का सबसे ऊंचा स्तर है।
क्यों बढ़ी थोक महंगाई
खाद्य उत्पादों की कीमतों में तेजी के कारण पिछले महीने थोक महंगाई दर बढ़ी है। इनमें भी सब्जी, वेजिटेबल ऑयल, स्टील और बेसिक मेटल ने थोक महंगाई को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति घटी है। मगर बावजूद इसके ये महंगाई बढ़ाने में बहुत अहम रही। अक्टूबर में खाद्य मुद्रास्फीति 6.37 प्रतिशत रही, जो पिछले महीने यह 8.17 प्रतिशत थी। सब्जियों और आलू की कीमतों में वृद्धि की दर क्रमशः 25.23 प्रतिशत और 107.70 प्रतिशत रही।
घटे पेट्रोल और डीजल के दाम
डब्लूपीआई (थोक मूल्य सूचकांक) डेटा से पता चलता है कि ईंधन और बिजली में अक्टूबर में 10.95 फीसदी की गिरावट आई। पेट्रोल की कीमत में 14.62 फीसदी और डीजल में 20.13 फीसदी की गिरावट आई। पिछले सप्ताह खुदरा महंगाई के आंकड़े पेश किए गए थे। आइए जानते हैं कि पिछले महीने खुदरा महंगाई कितनी रही थी।
2014 के सबसे ऊंचा स्तर
अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर बढ़ कर 7.61 फीसदी रही थी। इससे पहले सितंबर में खुदरा महंगाई दर 7.27 फीसदी थी। अक्टूबर में लगातार दूसरे महीने खुदरा मुद्रास्फीति 7 फीसदी से अधिक रही। खुदरा महंगाई की 7.61 फीसदी दर मई 2014 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। बता दें कि आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति में खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। सरकार ने आरबीआई को मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत (+/- 2 प्रतिशत) पर सीमित करने के लिए कहा है। यानी ऊपर की तरफ यह अधिकतम 6 फीसदी होनी चाहिए।
इससे सस्ता कुछ नहीं : 86 रु में मिल रहा घर, जानिए कहां और कैसे