खुलासा : देश में श्रमशक्ति का हाल ठीक नहीं, रिपोर्ट में सामने आया सच
नई दिल्ली, अगस्त 19। भारत के भीतर कामकाजी लोगों की उम्र बढ़ रही है। जब कोरोना महामारी मार्च 2020 के समय आई उस समय आधी से अधिक वर्क फोर्स की संख्या मध्यम आयु की थी। निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार 42 प्रतिशत वर्क फोर्स में वर्ष 2016-17 में 40 से 59 आयु वर्ग के लोग थे।
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युवाओं लिए पर्याप्त नौकरिया उपलब्ध नहीं
इसकी संख्या वर्ष 2019-20 में बढ़ कर 51 प्रतिशत हो गई और वर्ष 2021-22 में इसकी संख्या बढ़कर 57 प्रतिशत हो गई। इस अलावा देश की वर्क फोर्स का 17 प्रतिशत हिस्सा 15-24 वर्ष आयु का वर्ष 2016-17 में था। इसका मुख्य कारण युवाओं लिए पर्याप्त नौकरिया उपलब्ध नहीं हो पाना और उच्च स्तर की शिक्षा होने की वजह से लेबर बाजार में लेट से शामिल होना है।
वर्क फोर्स के शैक्षणिक योग्यता की कमी
सीएमआईई कि तरफ से कहा गया है कि वर्क फोर्स में शैक्षणिक योग्यता की कमी देखने को मिल रही है। वर्ष 2017-18 में पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट की हिस्सेदारी 12.9 प्रतिशत थी। जो इससे बढ़कर वर्ष 2018-19 में 13.4 प्रतिशत हो गई थी। मगर यही वर्ष 2019-20 में यह घटकर 13.2 प्रतिशत और वर्ष 2020-21 में केवल 11.8 प्रतिशत रह गई थी। हालांकि यह आंशिक रूप से सुधरकर वर्ष 2021-22 में 12.2 प्रतिशत हो गई। सीएमआईई के आंकड़ों में मुताबिक, वर्ष 2016-17 में, कुल रोजगार का एक चौथाई 30 साल से कम आयु के लोगो का था।
अच्छे योग्यता वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है
सीएमआईई की तरफ से कहा गया कि एक तरफ देश के भीतर छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मगर फिर भी वर्क फोर्स में अच्छे योग्यता वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। उम्र दराज होते काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ने से भारत को बढ़ती आबादी का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं।