Dhirubhai Ambani birthday : जानिए उनकी सफलता के मंत्र
नई दिल्ली। देश के लोगों के लिए धीरूभाई अंबानी एक जाना-माना नाम हैं। इन्होंने ही रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की थी। इस कंपनी के अब चेयरमैन मुकेश अंबानी दुनिया के अमीरों के टॉप 10 अमीरों की लिस्ट में शामिल हैं। लेकिन यह सब एक सपने की तरह है। रिलायंस इंडस्ट्रीज को सदियों पुरानी कंपनी नहीं है। यह आजादी के बाद हमारे और आपके समने खड़ी हुई कंपनी है। तारीफ की बात यह है कि इस कंपनी को खड़ा करने वाले धीरूभाई अंबानी कोई अमीर व्यक्ति नहीं थे। यह आपकी कल्पना से भी ज्यादा गरीब थे, लेकिन आशावादी व्यक्ति थे। उनको आशा थी एक दिन वह अपनी एक कंपनी बना लेंगे, और उन्होंने ऐसा करके दिखा भी दिया। आज यानी 28 दिसंबर को इन्हीं धीरूभाई अंबानी का जन्मदिन है। इनका निधन 6 जुलाई 2002 को हुआ था।
इनको पता था क्या गरीबी क्या होती है
कड़ी मेहनत और समझदारी से पैसे कमाए जा सकते हैं, यह बात देश को पहली बार धीरूभाई अंबानी ने बताई थी। शुरुआती दौर उनके परिवार के लिए गरीबी भरा रहा था। इस गरीबी के कारण ही वह हाईस्कूल के बाद अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। उन्होंने कई छोटा मोटे काम किए, लेकिन सपना बड़ा ही देखते रहे। गरीबी का आलम यह था कि एक बार उन्होंने पकौड़े तक बेचे। लेकिन अंत में उन्होंने कामयाबी पाई। आइये जानते हैं उनकी सफलता के टिप्स।
ये हैं उनकी सफलता के 5 टिप्स
-अगर आप अपना सपना पूरा नहीं करेंगे, तो कोई और आपको नौकरी पर रख कर अपना सपना पूरा कर लेगा।
-अगर आप गरीब पैदा हुए है, तो ये आपकी गलती नहीं है, पर अगर आप गरीब मरते हैं तो ये आपकी गलती है।
-बड़ा सोचे, जल्दी सोचे, सबसे आगे सोचे, क्योंकि विचार पर किसी का एकाधिकार नहीं है।
-मुनाफा कमाने के लिए कोई आपको आमंत्रण नहीं देगा।
-अगर आपको कुछ कमाना है, तो जोखिम लेना ही होगा।
गरीबी में बीता था धीरूभाई का बचपन
बचपन में गरीबी के चलते धीरूभाई अंबानी को नाश्ता बेचने जैसे काम भी करने पड़े थे। बाद में उन्होंने गांव के पास एक धार्मिक स्थल पर पकौड़े बेचने का भी काम किया। लेकिन यह काम आने वाले पर्यटकों पर निर्भर था, और चल नहीं पा रहा था। इसके बाद धीरूभाई अंबानी ने नौकरी की। यह नौकरी उनको यमन में मिली थी। उन्होंने 300 रुपये प्रति माह पर पेट्रोल पंप में गाड़ियों में पेट्रोल भरने का काम किया। अपनी लगन के चलते वह 2 साल के अंदर ही मैनेजर बन गए थे। हालांकि उनका नौकरी में मन नहीं लगा और उन्होंने अपना कारोबार जमाने का फैसला किया।
जुनूनी कारोबारी थे धीरूभाई अंबानी
धीरूभाई अंबानी एक जुनूनी कारोबारी थे। यही कारण था कि वह गरीबी के दौर में भी इस सपने को पूरा करने में लगातार लगे रहे। धीरूभाई अंबानी एक कंपनी में काम कर रहे थे, जहां पर कर्मचारियों को 25 पैसे में चाय मिलती थी। लेकिन धीरूभाई अंबानी निकट के होटल में जाया करते थे। यहां पर चाय 1 रुपये में मिलती थी। उनका कहना था कि वह इसलिए वहां जाते हैं कि वहां पर आने वाले लोग बड़े-बड़े कारोबार की बातें करते हैं, जिन्हें सुनकर काफी कुछ सीखने को मिलता है।
भारत लौट कर जमाया कारोबार
यमन में चल रहे आजादी के आंदोलन के चलते उन्हें मजबूरत भारत लौटना पड़ा। 1950 के दशक में धीरूभाई अंबानी भारत लौट आए थे। इसके बाद में उन्होंने चम्पकलाल दमानी के साथ मिलकर पॉलिएस्टर धागे और मसालों के आयात-निर्यात का कारोबार शुरू जमाया। इसी कंपनी का नाम रिलायंस कमर्शियल कार्पोरेशन था। यहीं से रिलायंस की नीव पड़ी। हालांकि बाद में यह कारोबार नहीं चला और साझेदारी को खत्म करना पड़ा। लेकिन रिलायंस फिर भी चलती रही। इसके बाद धीरूभाई ने सूत का कारोबार शुरू किया। धीरे-धीरे धीरूभाई अंबानी का यह कपड़ा कारोबार चलने लगा। उन्होंने 1966 में अहमदाबाद के नैरोड़ा में एक कपड़ा मिल की शुरुआत की। धीरूभाई ने यहां से बने कपड़ों को विमल ब्रांड के नाम से बेचना शुरू किया था।
1977 में लाए थे रिलायंस का आईपीओ
धीरूभाई अंबानी ने 1977 में रिलायंस इंडस्ट्रीज का आईपीओ लांच किया। उस समय 58,000 से ज्यादा लोगों ने इस आईपीओ में पैसा लगाया था। यहां से धीरूभाई अंबानी और रिलायंस को सफलता का मंत्र मिला। इसके बाद उनका और उनके निवेशकों का पैसा बढ़ता चला गया। आज यह भारत का सबसे बड़ा कारोबारी समूह है, और शुरुआती दौर में निवेश करने वाले ज्यादातर निवेशक करोड़पति हैं।
Ratan Tata Birthday : जानें उनकी सफलता के 5 राज, उठाएं फायदा