डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन किया जाएगा स्थापित, कैबिनेट ने दी मंजूरी
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकार के लंबी अवधि के डेवलपमेंट और वित्तीय उद्देश्यों को पूरा करने के लिए डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (डीएफआई) की स्थापना को मंजूरी दे दी है। सीतारमण ने इस साल बजट पेश करने के दौरान कहा था कि हम इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट गतिविधियों के लिए एक नेशनल बैंक की स्थापना करेंगे। उन्होंने कहा कि बैंक को सरकार की ओर से 20,000 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ शुरू किया जाएगा। जबकि 5000 करोड़ रु का अतिरिक्त अनुदान भी रखा जाएगा।
डीएफआई के पास होंगे टैक्स बेनेफिट
डीएफआई लंबी अवधि में पैसा जुटाने में मदद करेगा। सीतारमण ने कहा कि 10 साल की लंबी अवधि के लिए इसे कुछ टैक्स बेनेफिट भी मिलेंगे। अगले कुछ वर्षों में डीएफआई के लिए लगाई जाने वाली शुरुआती पूंजी का इस्तेमाल 3 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लिए किया जाएगा। वित्त मंत्री ने आगे कहा कि इससे पहले वैकल्पिक निवेश फंडों के लिए कोशिशें की गयीं। लेकिन विभिन्न कारणों से ऐसा कोई बैंक स्थापित नहीं हो सका, जो लंबी अवधि के जोखिम (जो बहुत अधिक है) और डेवलपमेंट के लिए फंडिंग कर सके।
कहां से आएगा पैसा
डीएफआई सरकार के लंबी अवधि वाले डेवलपमेंट उद्देश्यों के लिए पेंशन फंड और सॉवरेन फंड से पैसा जुटाने की कोशिश करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार प्रस्तावित डीएफआई को कुछ प्रतिभूतियां जारी करने की भी योजना बना रही है, जिससे धन की लागत में कमी आएगी। इस कदम डीएफआई से भारत में बॉन्ड बाजार पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
7000 परियोजनाओं की पहचान
वित्त मंत्री ने अपने बजट 2019-20 के भाषण में इंफ्रास्ट्रक्चर की फंडिंग को बढ़ावा देने के लिए डीएफआई की स्थापना के लिए एक स्टडी का प्रस्ताव रखा था। 2020-25 के दौरान 111 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) के तहत लगभग 7,000 परियोजनाओं की पहचान की गई है।
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