वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहराया अंधेरा, वापस पटरी पर आने में होगी देरी
नयी दिल्ली। कोरोनावायरस महामारी के एशिया से अमेरिका महाद्वीप तक फैल जाने से पिछले महीने दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट में आ गई है। रॉयटर्स के अर्थशास्त्रियों के साथ किए गए एक पोल के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने में समय लगेगा। पोल में शामिल हुए अर्थशास्त्रियों में से 20 फीसदी से भी कम को अर्थवव्यवस्था में वापसी की उम्मीद है। कई देशों ने वायरस, जिससे वैश्विक स्तर पर 55 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो गए हैं, को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में ढील देनी शुरू कर दी है। इससे इक्विटी बाजारों में इकोनॉमी में बेहतर और समृद्ध तेजी की उम्मीद बनी है। इसी उम्मीद से शेयर बाजारों में तेजी भी देखने को मिली है। मगर आर्थिक गतिविधियों के वापस सामान्य होने में समय लगेगा। क्योंकि ये महामारी दुनिया भर में फैल चुकी है और अलग-अलग समय पर देशों में पहुंच रही है। रॉयटर्स ने पिछले कुछ हफ्तों में 250 से अधिक अर्थशास्त्रियों के बीच पोल किया। इस पोल में अधिकतर देशों में इस साल पहले के अनुमान के मुकाबले और गहरी मंदी आने का अनुमान लगाया गया है।
3.2 फीसदी गिरावट का अनुमान
पोल के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस साल 3.2 फीसदी की गिरावट आएगी। इसके 3 अप्रैल के पोल में -1.2 फीसदी और 23 अप्रैल के पोल में -2.0 फीसदी गिरावट का अनुमान लगाया गया था। हैरान करने वाली बात ये है कि इस पोल में किसी भी अर्थशास्त्री ने 2020 में ग्रोथ की उम्मीद नहीं जताई है। जबकि गिरावट के लिए 0.3 फीसदी से लेकर 6.7 फीसदी तक के अनुमान लगाए गए हैं। मालूम हो कि महामारी फैलने से पहले इस साल वैश्विक आर्थिक विकास दर के लिए 2.3 से 3.6 फीसदी तक का अनुमान लगाया गया था।
अगला साल रहेगा शानदार
इस साल ग्लोबल इकोनॉमी में किसी भी तरह ग्रोथ का अनुमान नहीं लगाया गया है। मगर पोल में अगले साल वैश्विक विकास दर के 5.4 फीसदी रहने अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले महीने 4.5 फीसदी का अंदाजा लगाया गया था। पिछले पोल के मुकाबले अमेरिका, यूरो क्षेत्र, ब्रिटेन और जापान के लिए पूर्वानुमान कम किए गए हैं। सरकारों की तरफ से महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर भी अलग-अलग राय रही। इनमें कुछ का मानना है कि किए गए उपाय काफी रहे, जबकि 2 अर्थशास्त्रियों ने माना कि ये जरूरत से ज्यादा रहे। जबकि कुछ ने कहा कि ये नाकाफी रहे।
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