Cryptocurrency : एक और नयी मुसीबत, अपने खातों में पैसे ट्रांसफर नहीं कर पा रहे ग्राहक
नई दिल्ली, जून 26। भारत के क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों के लिए मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले से चल रही गिरावट और अब 1 जुलाई से लागू होने जा रहे टीडीएस के बीच एक और नया संकट उनके सामने आ गया है। नयी समस्या यह है कि क्रिप्टो टोकन्स की कीमतों में गिरावट के बीच ग्राहक अपने खातों में पैसा ट्रांसफर नहीं कर पा रहे हैं। जबकि क्रिप्टोकरेंसी पर एक लेनदेन टैक्स की तारीख करीब आ गयी है। इसीलिए बायनेंस-समर्थित वज़ीरएक्स जैसे एक्सचेंजों ने विस्तार योजनाओं को साइड पर रख दिया है।
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क्रिप्टो एक्सचेंज भी टेंशन में
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार वज़ीरएक्स के उपाध्यक्ष राजगोपालन मेनन ने कहा कि हमने अपनी सभी गैर-महत्वपूर्ण लागतों में कटौती की है। हम केवल महत्वपूर्ण काम पर कर रहे हैं। हम बिल्कुल भी पैसा खर्च नहीं कर रहे हैं। ऐसा करने वाला वज़ीरएक्स अकेला नहीं है। इसके प्रतिद्वंद्वी एक्सचेंज यूनोकॉइन और बाययूकॉइन भी बाजार में गायब हो रहे ट्रेडिंग वॉल्यूम पर ऐसा ही रेस्पोंस दे रहे हैं।
कर्मचारियों की छटनी
क्रिप्टो मार्केटप्लेस को लागत-कटौती मोड में होना चाहिए, यह शायद ही कोई आश्चर्य की बात है कॉइनबेस ग्लोबल इंक और क्रिप्टो डॉट कॉम ने पिछले दो हफ्तों में ही छंटनी की घोषणा की है। लेकिन भारतीय एक्सचेंजों को एक नए टैक्स सिस्टम के अतिरिक्त बोझ का सामना करना पड़ेगा है जिससे अधिकारियों को डर होगा कि जो थोड़ी बहुत ट्रेडिंग बची है, वो भी खत्म हो जाएगी। कॉइनगेको के आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर के बाद से वज़ीरएक्स की दैनिक मात्रा में लगभग 95 फीसदी की गिरावट आई है।
1 जुलाई से नया टैक्स
1 जुलाई को एक तय साइज (10 हजार रु) से ऊपर के सभी डिजिटल-एसेट ट्रांसफर पर 1 फीसदी टीडीएस लगेगा। माना जा रहा है कि इससे क्रिप्टो मार्केट में लिक्विडिटी समाप्त हो जाएगी। यह डिजिटल एसेट से आय पर मौजूदा 30 फीसदी की दर के साथ-साथ एक नया टैक्स है। ये क्रिप्टो निवेशकों को परेशान करे वाला माना जा रहा है। मगर इसका क्रिप्टो एक्सचेंज भी पड़ने की पूरी-पूरी संभावना है।
घाटे से भी मुक्ति नहीं
सरकार क्रिप्टोकरेंसीज पर ट्रेडिंग नुकसान की भरपाई की भी अनुमति नहीं दे रही है। यानी यदि आप कोई क्रिप्टो बेचने पर घाटा उठाते हैं तो उसे दूसरे क्रिप्टो एसेट की बिक्री से हुए मुनाफे से सेटऑफ नहीं किया जा सकेगा। मुनाफे पर ऊंची टैक्स रेट (30 फीसदी) और घाटे को दूसरी एसेट पर हुए मुनाफे से पाट पाने की सुविधा नहीं होगी। क्योंकि इन्हें स्टॉक और बॉन्ड से अलग माना गया है। इस दर्द में और इजाफा होते हुए अप्रैल के मध्य से क्रिप्टो एक्सचेंजों को नियमित बैंकिंग सिस्टम से काफी हद तक काट दिया गया है। इसीलिए लोग यूपीआई से पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं।
इस एक्सचेंज के प्लान हैं अलग
हालांकि हर एक्सचेंज ब्रेक नहीं दबा रहा है। कॉइनडीसीएक्स, जिसने अप्रैल में पैन्टेरा कैपिटल सहित फंड से 135 मिलियन डॉलर जुटाए, लागत में कटौती करने की योजना नहीं बना रहा है। मगर इतना जरूर है कि अब खर्च के मामले में सभी कंपनियां सतर्क हैं। इस बीच तत्काल राहत नहीं मिलने से वज़ीरएक्स के मौजूदा कर्मचारियों को अधिक काम करना पड़ सकता है।