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कोरोना से भी घातक है कच्चे तेल के रेट का खेल, ला सकता है बड़ी तबाही

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नई दिल्ली। दुनिया इस वक्त केवल कोरोना महामारी से ही नहीं जूझ रही है, बल्कि कच्चे तेल ने भी कहर मचा रखा है। पिछले दिनों तो कच्चे तेल के दाम अमेरिका में जीरो से भी नीचे चले गए थे। यानी तेल उत्पादक क्रूड ऑयल भी दे रहे थे और साथ में 4 डॉलर प्रति बैरल भी चुकाने को तैयार थे। सुनकर यह जरूर अजीब सा लग रहा होगा, लेकिन कच्चे तेल के दाम के चलते दुनिया में भारी हाहाकार मचा हुआ है। कच्चे तेल के दाम जीरो इस लिए चले गए थे कि कच्चे तेल के भंडार की सुविधा दुनियाभर में फुल हो चुकी है। स्थिति यह है कि तेल परिवहन जहालों पर है, लेकिन उसे लेने वाले नहीं थे। यही कारण था कि उसका रेट कुछ समय के लिए जीरो के नीचे चला गया था।

जानिए रेट गिरना क्यों दुनिया के लिए अच्छा नहीं है

जानिए रेट गिरना क्यों दुनिया के लिए अच्छा नहीं है

दुनिया में कई देशाें की अर्थव्यवस्था कच्चा तेल बेच कर चल रही है, तो बाकी देशों की अर्थव्यवस्था इसी कच्चे तेल से चल रही है। यानी दुनिया की हर देश की अर्थव्यवस्था कच्चे तेल पर टिकी है। अगर कच्चे तेल के दाम एक तय सीमा से नीचे चले जाएंगे, तो कच्चे तेल का उत्पादन करना बंद करना पड़ेगा। क्योंकि अगर इसको जमीन से निकालने की लागत भी नहीं निकलेगी तो कंपनियों क्यों निकालेंगी। ऐसे में दुनियाभर में कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित होगी। वहीं जब कच्चा तेल का उत्पादन नहीं होगा तो बाकी दुनिया की अर्थव्यवस्था ठहर जाएगी। यानी तबाही का दौर आ सकता है।

सऊदी पर दाम जानबूझ कर गिराने का आरोप

सऊदी पर दाम जानबूझ कर गिराने का आरोप

अमेरिका मानता है कि सऊदी अरब ने जानबूझ कर तेल की कीमतों को क्रैश किया है, ताकि अमेरिकी शेल इंडस्ट्री तबाह हो जाए। ट्रंप ने अमेरिका, सऊदी अरब और रूस के बीच एक डील के लिए मार्च में पहल की थी। कच्चे तेल के प्रोडक्शन में रोजाना 1.5 करोड़ बैरल की कटौती की इस डील से दुनिया पर कोई खास असर नहीं पड़ा, क्योंकि मांग ही 3 करोड़ बैरल प्रतिदिन के हिसाब से कम हो गई। लेकिन ये सब तब हुआ जब सऊदी अरब और रूस ने मार्च में एक हाई स्टेक गेम खेला। जब ओपेक-प्लस डील धराशाई हुई तो रूस और सऊदी अरब ने बाजार में ढेर सारा तेल सप्लाई कर दिया। रूस ने अपने 600 अरब डॉलर के फॉरेक्स रिजर्व का फायदा उठाया और प्रोडक्शन ब्रेक ईवन कॉस्ट 42 डॉलर पर पहुंचा, जो सऊदी को 84 डॉलर का आधा है, ताकि वह प्राइस वॉर में बचा रह सके।

भारत को फिलहाल मिल सकता है फायदा

भारत को फिलहाल मिल सकता है फायदा

भारत की अर्थव्यवस्था पहले ही धीमी रफ्तार से चल रही थी और इसी बीच कोरोना वायरस के प्रकोप ने सब कुछ ठप कर दिया है। अब भारत के लिए अच्छी बात सिर्फ इतनी सी है कि कच्चे तेल की कीमतें गिर रही हैं। इससे भारत के फिस्कल डेफिसिट में देश को मदद मिलेगी और सरकार को अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने में आसानी होगी।

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English summary

Crude oil rates fall is more deadly than corona epidemic

Due to the falling crude oil rate, companies can stop its production, in such a situation the world economy will stop.
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