कच्चा तेल : 2002 के बाद पहली बार 25 डॉलर प्रति बैरल तक गिरे दाम
नयी दिल्ली। कोरोनावायरस के कारण यात्राओं पर पाबंदी लगने से कच्चे तेल की मांग को सहारा मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। इसी कारण बुधवार को कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तीसरे दिन गिरावट दर्ज की गयी और अमेरिकी क्रूड वायदा भाव 18 साल के निचले स्तर पर पहुँच गया। यूएस क्रूड की कीमत 2.51 डॉलर या 9 फीसदी से ज्यादा की गिरावट के साथ 24.42 डॉलर प्रति बैरल पर आ गये, जो 2002 के मध्य के बाद इसका सबसे निचला स्तर है। तब कच्चे तेल की कीमतें 24.42 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़क गई थीं। ब्रेंट क्रूड 1.39 डॉलर या लगभग 5 फीसदी गिर कर 27.34 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहे था, जो 2016 की शुरुआत के बाद सबसे कम हैं।
अभी और घटेगी मांग
गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान लगाया है कि तेजी से फैलते कोरोनावायरस के कारण तेल की मांग में भारी गिरावट आ सकती है। गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि दूसरी तिमाही में ब्रेंट क्रूड की कीमत में 20 डॉलर तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है, जो 2002 की शुरुआत के बाद सबसे कम होगा। बैंक के अनुसार मार्च के अंत तक तेल की मांग में प्रति दिन 8 मिलियन बैरल (बीपीडी) की गिरावट की संभावना है।
सऊदी अरब और रूस का प्राइस वॉर
तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट के पीछे एक और बड़ा कारण सऊदी अरब और रूस के बीच प्राइस वॉर। मगर रूस ने बुधवार को कहा कि वे तेल की कीमत मौजूदा स्तरों से अधिक देखना चाहेगा। लेकिन सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि उसने राष्ट्रीय तेल कंपनी अरामको को आने वाले महीनों में रिकॉर्ड 12.3 मिलियन बीपीडी कच्चे तेल की आपूर्ति जारी रखने का निर्देश दिया है। सऊदी अरब और रूस के बीच शुरू हुए प्राइस वॉर के कारण हाल ही में कच्चे तेल की कीमतों में 1991 के बाद एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी थी।
खाड़ी युद्ध के बाद कच्चे तेल की कीमतों में सबसे बड़ी गिरावट, जानिये कारण