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सरकारी कर्मचारियों से ज्यादा कमा रहा गौपालक, दूध नहीं गोबर से आ रहे लाखों रु

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नयी दिल्ली। पैसा कमाने के बहुत सारे आइडिया होते हैं। बस जरूरत होती है उस आइडिया को पहचानने की। आपके पास जो भी ऑप्शन हैं आपको उन्हें पहचानना होगा, उनमें मौका तलाश करना होगा। यदि आप ऐसा कर पाएं तो आपको मालामाल होने से कोई नहीं रोक सकता। कुछ ऐसा ही कारनामा किया है रायपुर (छत्तीसगढ़) के एक गौपालक (गाय पालने वाले) ने। ये गौपालक इस समय हर महीने लाखों रु की कमाई कर रहा है और वो भी गोबर बेच कर। आपको ये थोड़ा अजीब लग सकता है, मगर ये सच है। आइए जानते हैं इस गौपालक की कहानी।

 

दूध के बजाय गोबर से कमाई

दूध के बजाय गोबर से कमाई

दूध बेच कर 1 लाख रु प्रति महीने कमाना ही मुश्किल काम है, मगर रायपुर के रहने वाले सुरजीत सिंह गोबर से हर महीने 1 लाख रु कमा रहे हैं। बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले साल गोधन न्याय योजना शुरू की थी, जिसके तहत राज्य सरकार गौठानों से गोबर खरीदती है। इसके लिए सरकार प्रति किलो गोबर 2 रु का भुगतान करती है।

बदल गई किस्मत
 

बदल गई किस्मत

राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना ने इस गौपालक की किस्मत ही बदल कर रख दी है। सुरजीत रोजाना 2 टन गोबर सरकार को बेच रहे हैं। 2 टन यानी 2000 किलो। इस तरह उनकी रोज की इनकम हुई 4000 रु। महीने में देखें तो वे करीब 1.20 लाख रु कमा रहे हैं। वे बताते हैं कि इस योजना ने उनकी किस्मत बदल कर रख दी। पहले उन्हें उन गायों से दिक्कत होती थी जो दूध न दें। मगर अब वे गाय भी उनकी कमाई कराती हैं।

दूध से भी कमाई

दूध से भी कमाई

सुरजीत दूध से भी कमाते हैं और गोबर से भी। इससे उनकी इनकम दोगुनी हो गई है। बता दें कि छत्तीसगढ़ प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन (सीजीपीडीएफए) के सह-सचिव कहते हैं कि गोधन न्याय योजना से सुरजीत जैसे कई गौपालकों को फायदा मिला है। अब पंजाब और हरियाणा में भी ऐसी ही योजना शुरू किए जाने की मांग उठने लगी है। वहां के पशुपालक भी चाहते हैं कि राज्य सरकारें गोबर खरीदें।

युवाओं को मिल रही प्रेरणा

युवाओं को मिल रही प्रेरणा

इस योजना के तहत सरकार गौठानों से गोबर खरीदती है। मगर ये भी मांग हो रही है जिन क्षेत्रों में गौठान नहीं है वहां सरकार सीधे गौपालकों से गोबर खरीदे। सुरजीत के अनुसार गौपालन और दूध उत्पादन बढ़ने से युवा इस काम में रुचि दिखा रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि बेहतर चारा और अन्य अच्छी सुविधाएं मिलने पर इस क्षेत्र में छत्तीसगढ़ पंजाब जैसे राज्य को पीछे छोड़ सकता है।

क्या होता है गोबर का

क्या होता है गोबर का

बड़ा सवाल है कि आखिर सरकार खरीदे गए गोबर का क्या करती है। बता दें कि गोधन न्याय योजना के तहत सरकार गाय और भैंसों का गोबर खरीदती है। पशुपालकों से गौठान समितियों के जरिए गोबर खरीदा जाता है। इससे वर्मी कम्पोस्ट और अन्य उत्पाद तैयार किये जाते हैं। साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा मिलता है। ग्रामीण और शहरी इलाकों के पशुपालकों की इनकम भी बढ़ाने में ये योजना काफी सहायक रही है। इसके अलावा राज्य में गौपालन को बढ़ावा मिलेगा।

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English summary

cow farmer earning more than government employees lakhs of rupees coming from cow dung

The Godhan Nyaya Yojana of the Government of Chhattisgarh has changed the fate of cow farmers.
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