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LIC पर कोरोना का कहर, तेजी से बढ़ रहा NPA

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नयी दिल्ली। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी ने का एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स या फंसे हुए लोन) लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके पीछे असल वजह कोरोनावायरस है। एलआईसी का सकल एनपीए अनुपात मार्च 2020 तक बढ़ कर 8.17 प्रतिशत हो गया है, जो मार्च 2019 में 6.15 प्रतिशत था। वहीं शुद्ध एनपीए अनुपात वित्त वर्ष 2019-20 में 0.79 प्रतिशत पर पहुंच गया। एलआईसी का शुद्ध एनपीए अनुपात 2018-19 में 0.27 प्रतिशत था। एलआईसी की बैलेंस शीट भी वित्त वर्ष 2018-19 में 30.26 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2019-20 में बढ़ कर 31.24 लाख करोड़ रुपये की हो गई। एलआईसी की दबाव वाले सेक्टरों पर भी लोन बढ़ रहा है।

रियल एस्टेट को कितना लोन

रियल एस्टेट को कितना लोन

एलआईसी को रियल एस्टेट को दिए गए लोन की भागीदारी 4.09 फीसदी से बढ़ कर 2019-20 में 4.22 फीसदी हो गई। कंपनी ने 1.04 लाख करोड़ रु के मुकाबले 1.08 लाख करोड़ रु के लोन पास किए। एलआईसी ने वित्त वर्ष 2018-19 में 2,087.54 करोड़ रुपये के मुकाबले 2019-20 में 98,894.63 करोड़ रुपये के लोन आवंटित किए। कंपनी ने मार्च तिमाही के लिए डाउनग्रेड किए गए निवेशों का खुलासा नहीं किया। हालाँकि एलआईसी ने एनपीए में बदल चुके लोन्स या जिनके बैड लोन में बदलने का अनुमान है उनके लिए 12,561.37 करोड़ का प्रोविजन बनाया है। नॉन-स्टैंडर्ड लोन्स के लिए एलआईसी ने वित्त वर्ष 2019-20 में 12,131.22 करोड़ रुपये के प्रोविजन बनाए हैं।

एलआईसी पर बढ़ रहा दबाव
 

एलआईसी पर बढ़ रहा दबाव

एलाआईसी पर बढ़ते एनपीए और बुरी तरह प्रभावित सेक्टरों को दिए गए लोन के कारण दबाव बढ़ रहा है। ये दोनों चीजें इसके लिए फाइनेंशियल कमजोरी बन रही हैं जो इसके आईपीओ में एक बड़ी अड़चन बन सकती है। मालूम हो कि सरकार आईपीओ के जरिए एलआईसी की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। केंद्र सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में घरेलू बाजारों में एलआईसी की लिस्टिंग कराना है। हालाँकि एयर इंडिया, बीपीसीएल आदि सहित सरकार की अधिकांश विनिवेश योजनाएं कोरोनोवायरस महामारी के कारण रुक गई हैं। एलआईसी के आईपीओ के साथ केंद्र सरकार का लक्ष्य अपने 2.10 लाख रुपये के बजटीय विनिवेश टार्गेट को हासिल करना है।

कहां तक पहुंची सरकार की तैयारी

कहां तक पहुंची सरकार की तैयारी

वित्त मंत्रालय पहले ही एलआईसी के प्रस्तावित आईपीओ पर सलाह देने के लिए कंसल्टिंग फर्म्स, निवेश बैंकरों और अन्य वित्तीय संस्थानों से बोलियां आमंत्रित कर चुका है। अगर सरकार कंपनी में हिस्सेदारी बेचने में कामयाब हुई तो राजकोषीय घाटे की भरपाई करने में मदद मिलेगी। इस बीच एलआईसी ने खुले बाजार से शेयर खरीदकर यस बैंक में 5 प्रतिशत के करीब हिस्सेदारी हासिल कर ली है। एलआईसी ने इसकी 0.75 प्रतिशत नई हिस्सेदारी खरीदी है। इसकी यस बैंक में कुल हिस्सेदारी बढ़ कर 4.98 प्रतिशत हो गई है।

LIC को बचाने के लिए पीएम मोदी से लगाई गुहार, जानिए क्या है खतराLIC को बचाने के लिए पीएम मोदी से लगाई गुहार, जानिए क्या है खतरा

English summary

Coronavirus havoc on LIC NPA rising rapidly

LIC's share of loans to real estate increased from 4.09 per cent to 4.22 per cent in 2019-20. The company passed loans of Rs 1.08 lakh crore against Rs 1.04 lakh crore.
Story first published: Saturday, August 8, 2020, 17:09 [IST]
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