कोरोना बना मुसीबत : बैंकों के एनपीए में हो सकती है 1.67 लाख करोड़ रु की वृद्धि
नयी दिल्ली। लॉकडाउन में छूट के बाद कारोबारों को फिर से संचालन शुरू करने में दिक्कतें आ रही हैं। इससे बैंकों के एनपीए (Non-Performing Assets) में 1.67 लाख करोड़ रु की बढ़ोतरी हो सकती है। इस बात का अनुमान रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में लगाया है। एजेंसी ने टॉप 500 अधिक कर्ज वाली कंपनियों का विश्लेषण किया है और कहा है कि कुल एनपीए 2021-22 तक 4.21 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है। एजेंसी ने इससे पहले 2.54 लाख करोड़ रुपये के एनपीए या दबावग्रस्त लोन का अनुमान लगाया था। ये कुल डेब्ट का 6.63 फीसदी (पिछला अनुमान 4 फीसदी) है।
कुल कितना दबावग्रस्त लोन
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार कुल लोन में से 11.57 फीसदी लोन पहले से ही दबाव (जिसके चुकाये जाने को लेकर संशय है) में है। नए एनपीए के साथ दबाव वाले लोन के बढ़ कर 18.21 फीसदी होने का अनुमान लगाया गया है। एजेंसी का अनुमान है कि कॉर्पोरेट सेक्टर के दबाव वाले लोन में 1.68 लाख करोड़ रु की बढ़ोतरी हो सकती है। इससे कॉर्पोरेट डेब्ट (कंपनियों को दिया गया लोन) का 5.89 लाख करोड़ रु (कुल लोन का 9.27 फीसदी) लोन एनपीए में बदल सकता है। इस तरह कुल बकाया लोन का 20.84 फीसदी दबाव एनपीए बन जाएगा। इंडिया रेटिंग्स के अनुसार इस पूरे मामले को देखते हुए कर्जदाता लोन देने के मामले में और भी सिलेक्टिव हो सकते हैं। यानी वे बहुत चुनिंदा फर्म को ही लोन देंगे।
एनपीए अनुमान में बदलाव संभव नहीं
इंडिया रेटिंग्स 2020-21 के लिए यदि भारत की जीडीपी ग्रोथ के लिए अपने अनुमान में संशोधन करती है तो भी इसके एनपीए अनुमान में बदलाव की संभावना नहीं है। बल्कि माना जा रहा है कि इकोनॉमिक एक्विटी और मांग बढ़ने में लंबा समय लग सकता है, जिसके चलते एनपीए इंडिया रेटिंग्स के अनुमान से भी अधिक हो सकते हैं।
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