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Corona Impact : मुनाफे के लिए कारोबारी बदल रहे अपनी राह, जानिए पूरा मामला

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नयी दिल्ली। कोरोनावायरस के कारण कंपनियों और कारोबारियों के लिए मुनाफा कमाना तो दूर बचे रहने भी मुश्किल हो गया है। इसी के मद्देनजर कारोबारी अब दूसरे चीजों के प्रोडक्शन में लग गए हैं। खास कर उन चीजों का उत्पादन किया जा रहा है, जो जरूरत की हैं और लॉकडाउन जैसी स्थिति में बिकती रहें। उदाहरण के तौर पर मोहाली एक कॉस्मेटिक कंपनी सेनिटाइजर बना रही है। इसी तरह नागालैंड में एक हैंडीक्राफ्ट मैन्युफैक्चरर मास्क बेच रहा है, गुड़गांव स्थित परिधान निर्यातक पीपीई सूट असेंबल कर रही हैं और एक वापी आधारित पेपर कंपनी क्वारंटाइन केंद्रों के लिए कार्डबोर्ड बेड का निर्माण कर रही है। कोरोना संकट के दौरान कई दूसरे छोटे-बड़े व्यापारियों ने भी अस्थायी तौर पर अपने असल कारोबार को छोड़ कर ज्यादा मांग वाले उत्पादों का रुख किया है। कुछ कारोबारी तो अपने नए उत्पादों को निर्यात करने की योजना बना रहे हैं।

 

गार्मेंट कारोबारी कर रहे पीपीई बिजनेस का रुख

गार्मेंट कारोबारी कर रहे पीपीई बिजनेस का रुख

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार परिधान निर्यात संवर्धन परिषद की कार्यकारी समिति के सदस्य बिजनेसमैन गौतम नायर का कहना है कि पिछले दो महीनों में 400 से अधिक भारतीय परिधान निर्माताओं ने पीपीई कारोबार में कदम रखा है। मार्केट रिसर्च कंपनी नीलसन का कहना है कि अकेले मार्च में 150 से अधिक नए कारोबारियों ने हैंड सैनिटाइजर बाजार में प्रवेश किया। दरअसल कारोबारी ऐसा जरूरत के कारण कर रहे हैं। एक कारोबारी पिछले 12 वर्षों से लिफ्ट और एलीवेटर के कारोबार में लगे हुए हैं। मगर लॉकडाउन के बाद के दो महीनों में उन्हें मिलने वाले ऑर्डर सूख गए और कारोबार ठप्प हो गया।

मास्क कारोबार जोरों पर
 

मास्क कारोबार जोरों पर

दीमापुर में 35 महिलाओं का एक समूह कोरोनावायरस संकट आने तक पारंपरिक नागा आभूषणों और हैंडीक्राफ्ट सामान बनाता था। मगर कोरोना के चलते उनका पूरा कारोबार बंद हो गया। अब ये समूह मास्क बनाने लगा। इन्होंने अपने टेलरिंग सेट-अप का इस्तेमाल कॉटन और हैंडलूम मास्क बनाने में शुरू कर दिया। महिलाओं के समूह ने पिछले महीने अपनी 90 फीसदी इनकम मास्क कारोबार से ही हासिल की है। अप्रैल के मध्य से 20,000 से अधिक मास्क का उत्पादन करके इस समूह ने पूरे भारत के के शहरों में कॉर्पोरेट्स और गैर सरकारी संगठनों तक पहुंचाए।

बिना योजना के बदला कारोबार

बिना योजना के बदला कारोबार

इन कारोबरियों में से किसी की योजना कारोबार बदलने की नहीं थी। एक कपड़ा कारोबारी कहते हैं कि दो महीने पहले मुझे नहीं पता था कि पीपीई क्या है। मगर अब वे रोजाना 8000 कवरॉल्स बना रहे हैं। इतना ही नहीं वे Hugo Boss और Timberland जैसे ब्रांड्स को निर्यात भी करते हैं। गुड़गांव स्थित एक और परिधान निर्माता, जो टॉमी हिलफिगर और केल्विन क्लीन, जैसे ब्रांडों को गार्मेंट की डिलिवरी करता है, अब पीपीई सूट, कपड़े मास्क और जूता कवर बना रहा है। इतना ही नहीं इन्हें भी वस्तुओं का निर्यात शुरू करने के लिए सरकार की मंजूरी का इंतजार है। ये सभी उपाय इन कारोबारियों और कंपनियों ने मुनाफा और कोरोना संकट में बचे रहने के लिए किए हैं।

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English summary

Corona Impact Businessmen changing path for profit know the whole matter

Businessmen are now engaged in the production of other things. Especially those things which are in need are being produced and keep on selling under lockdown condition.
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