5 साल के निचले स्तर पर कंज्यूमर कॉन्फिडेंस
गुरुवार को भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने नवंबर महीने के लिए अपना उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण जारी किया।
नई दिल्ली: गुरुवार को भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने नवंबर महीने के लिए अपना उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण जारी किया। जिसमें पता चला कि देश में घरों में नौकरियों और सामान्य आर्थिक स्थिति के बारे में निराशा बनी हुई है। सुस्ती के दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था को एक और झटका लगा है। आर्थिक हालात को पटरी पर लाने के लिए सरकार की ओर से भले ही लगातार प्रयास किए जा रहे हो, लेकिन हालात बहुत ही मुश्किल हो रही है। दरअसल, देश का कन्ज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (सीसीआई) 5 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। आरबीआइ की तरफ से करवाये जाने वाले कंज्यूमर कांफिडेंस इंडेक्स ने इस बात का संकेत दे दिया है। एसबीआई : कल से हो जाएगा होम लोन सस्ता ये भी पढ़ें
देश के आर्थिक हालात, महंगाई, रोजगार की स्थिति को लेकर नाउम्मीदी रखने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। देश के 13 बड़े शहरों में कराये गये इस सर्वेक्षण के मुताबिक नवंबर, 2019 में कंज्यूमर कंफिडेंस इंडेक्स घट कर 85.7 फीसद रही है। दो महीने पहले यह 89.4 फीसद थी। भविष्य की उम्मीदों का सूचकांक (एफईआई), जो एक साल की आगे की धारणाओं को ध्यान में रखता है, सितंबर में 114.5 से नीचे था।
क्या है इसके मायने?
कन्ज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स में गिरावट का मतलब ये हुआ कि देश की इकोनॉमी को लेकर लोगों का भरोसा कम हुआ है और ग्राहक खरीदारी नहीं कर रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह चिंता की बात है। कन्ज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स जितना मजबूत होता है, अर्थव्यवस्था के लिए वह उतनी ही अनुकूल स्थिति मानी जाती है। इंडेक्स में मजबूती का मतलब ये होता है कि ग्राहक बाजार और अर्थव्यवस्था को लेकर आशावादी हैं। इस इंडेक्स में मजबूती तभी मिलती है जब ग्राहक सर्विस और गुड्स की जमकर खरीदारी करते हैं। ऐसे में जाहिर सी बात है, इससे अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिलती है।
आरबीआइ ने यह सर्वे अहमदाबाद, बंगलुरू, भोपाल, चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पटना व तिरुवनंतपुरम के 5,334 घरों के परिवारों के बीच यह सर्वे करवाया है। हर दो महीने पर केंद्रीय बैंक यह सर्वे करवाता है और ब्याज दरों पर फैसला करने या आर्थिक विकास दर के अनुमान लगाने में इस सर्वे की अहम भूमिका होती है।
वहीं 2019-20 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि में मंदी के कारण आरबीआई ने गुरुवार को अपनी प्रमुख दरों को अपरिवर्तित रखा। गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने इस वर्ष और कटौती करने से पहले, लगातार पांच बार हुई कटौती के प्रभावों को देखने के बाद ही और कटौती के बारे में अंतिम विचार पर आना चाहती है।
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