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इकोनॉमी की हालत लगातार हो रही खराब, जानिए क्या हो सकता है अब

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नयी दिल्ली। शुक्रवार 29 मई को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने वित्त वर्ष 2019-20 की चौथे यानी जनवरी-मार्च तिमाही के साथ-साथ पूरे साल के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के प्रोविजनल अनुमान जारी किए। प्रोविजनल आंकड़ों, जिनके अगले साल जनवरी तक फिर से संशोधित किए जाने की संभावना है, के मुताबिक 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था 4.2 फीसदी की दर से बढ़ी। यह नई जीडीपी डेटा श्रृंखला, जिसका आधार वर्ष (Base Year) 2010-11 है, के तहत जीडीपी की सबसे कम वार्षिक विकास दर है। पिछले साल जुलाई में साल का बजट का पेश करते हुए सरकार ने 8.5 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान लगाया था, जिसके मुकाबले ये काफी कम रही। वहीं इस साल फरवरी में दूसरे अग्रिम अनुमानों में 5 फीसदी का अंदाजा लगाया गया था। मगर ये विकास दर उससे भी कम रही है। ये वास्तविक जीडीपी में ग्रोथ रेट है। इसी तरह की गिरावट नॉमिनल जीडीपी में भी देखी जा सकती है। 2019-20 के बजट में नॉमिनल जीडीपी के 12-12.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।

 

नॉमिनल जीडीपी में गिरावट के दो प्रभाव

नॉमिनल जीडीपी में गिरावट के दो प्रभाव

नॉमिनल जीडीपी में गिरावट दो कारणों से काफी महत्व रखती है। पहला नॉमिनल जीडीपी विकास दर में तेज गिरावट मूल रूप से अर्थव्यवस्था में अन्य सभी कैल्कुलेशंस को प्रभावित करती है। दूसरा यह दिखाती है कि सरकार इकोनॉमिक ग्रोथ में गिरावट के परिमाण (Magnitude) का आकलन करने में सक्षम नहीं रही। 2019-20 के लिए प्रोविजनल जीडीपी अनुमान बताते हैं कि 2016-17 के बाद से विकास में आ रही मंदी पिछले वित्तीय वर्ष में बदतर हुई। वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही में अर्थव्यवस्था में केवल 3.1% की वृद्धि हुई। यह दिखाता है कि कोरोना संकट से पहले ही अर्थव्यवस्था काफी कमजोर हो गई थी।

2012-13 से विकास दर :
 

2012-13 से विकास दर :

2012-13 : 5.5 फीसदी
2013-14 : 6.4 फीसदी
2014-15 : 7.4 फीसदी
2015-16 : 8 फीसदी
2016-17 : 8.3 फीसदी
2017-18 : 7 फीसदी
2018-19 : 6.1 फीसदी
2019-20 : 4.2 फीसदी
2020-21 : -5 से -10 फीसदी (अनाधिकारिक आंकड़ा)

किस सेक्टर ने दिया जीडीपी को सहारा

किस सेक्टर ने दिया जीडीपी को सहारा

प्रोविजनल जीडीपी अनुमान से भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे मजबूत और सबसे कमजोर क्षेत्रों का भी पता चलता है, जो कि कोरोना लॉकडाउन के कारण चल रहे आर्थिक संकट के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 2019-20 में कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर 4 प्रतिशत पर अधिक रही, जबकि 2018-19 में ये 2.4 प्रतिशत थी। खनन और उत्खनन गतिविधि, जिसमें 2018-19 में नकारात्मक वृद्धि (-5.8 प्रतिशत) दर्ज की गई थई, 2019-20 में 3.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी। इन दो सेक्टरों ने 2019-20 में जीडीपी को काफी सहारा दिया।

क्या आगे कर पाएंगे ऐसा ही कमाल

क्या आगे कर पाएंगे ऐसा ही कमाल

सवाल ये है कि कृषि और खनन यानी माइनिंग सेक्टर क्या ऐसा कमाल 2020-21 में कर भी पाएंगे? क्या ये दो सेक्टर कोरोना संकट को झेलने में मदद कर सकते हैं? इसका जवाब हमें सरकार के उठाए गए कदमों से मिल सकता है। दरअल सरकार कोरोना के झटकों से कृषि को बचाए रखने की पूरी कोशिश कर रही है। वहीं उसने खनन क्षेत्र में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत निर्देशों की घोषणा की है, जिससे इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का स्पष्ट संकेत मिलता है। अगर सरकार के कदम सफल रहे तो इकोनॉमी को थोड़ा सहारा जरूर मिल सकता है। हालांकि न तो ये इतना आसान होगा और मौजूदा संकट को देखते हुए न ही इसकी कोई गारंटी है।

अर्थव्यवस्था को झटका : जीडीपी का 4.6 फीसदी रहा राजकोषीय घाटा, जानिए कारणअर्थव्यवस्था को झटका : जीडीपी का 4.6 फीसदी रहा राजकोषीय घाटा, जानिए कारण

English summary

condition of the economy continues to worsen can Agriculture and mining save it

Ministry of Statistics and Program Implementation released provisional estimates for the full year gross domestic product (GDP) growth rate for the fourth i.e. January-March quarter of FY 2019-20.
Story first published: Saturday, May 30, 2020, 14:08 [IST]
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