RIL व Ola जैसी कंपनियां अब बनाएंगी बैटरी, सरकार करेगी मदद
नई दिल्ली, जुलाई 29। रिलायंस न्यू एनर्जी लिमिटेड, ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और राजेश एक्सपोर्ट्स अब बैटरी बनाने का भी काम करेंगी। तीनों कंपनियों ने एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी स्टोरेज के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के तहत सरकार के साथ समझौते किया है, गुरूवार को डील फाइनल होने की जानकारी दी गई। इन कंपनियों को भारत सरकार के पीएलआई कार्यक्रम के तहत ₹18,100 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन मिलेगा। हेवी उद्योग मंत्रालय पीएलआई कार्यक्रम के तहत आवंटित क्षमताओं के अलावा कंपनियों से लगभग 95 गीगावॉट की बैटरी निर्माण क्षमता बनाने की उम्मीद करता है। सरकार ने एक प्रेस रिलिज के माध्यम से यह जानकारी दी।
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मई 2021 में केन्द्र ने दी थी मंजूरी
मई 2021 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 18,100 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। सरकार ने एसीसी के 50 गीगा वाट घंटे (जीडब्ल्यूएच) और आला एसीसी के 5 जीडब्ल्यूएच की विनिर्माण क्षमता प्राप्त करने के लिए एसीसी बैटरी स्टोरेज को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम चलाने को मंजूरी दी थी। भारी उद्योग मंत्रालय इसके कार्यान्वयन की देखरेख कर रहा है। एसीसी बैटरी स्टोरेज के लिए इस पीएलआई योजना के परिणामस्वरूप एसीसी बैटरी स्टोरेज निर्माण परियोजनाओं में लगभग 45,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष निवेश होने का अनुमान है।
उर्जा क्षेत्र के कंपनियों के पक्ष में है नीति
सरकार ने प्रेस रिलिज में बताया कि नीति को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और नवीकरणीय ऊर्जा में रुचि रखने वाली कंपनियों के पक्ष में तैयार किया गया है। यह भारत के विनिर्माण उद्योग में एक नया अध्याय शुरू करेगा। सरकार ने कहा कि हम बैटरी निर्माण के लिए दृष्टि निर्धारित कर रहे हैं और इस पावर क्षेत्र में अन्य देशों के साथ विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करेंगे। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे ने कहा यह ईलेक्ट्रिक वाहनों के तंत्र और ऊर्जा भंडारण बाजार के अनुकूल होगा। निति के तहत कंपनियों को नया प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
10 कंपनियों ने लगाई थी बोली
एसीसी बैटरी स्टोरेज की पीएलआई योजना के तहत 128 जीडब्ल्यूएच की निर्माण क्षमता वाली कंपनियों से कुल 10 बोलियां प्राप्त हुई थीं। एसीसी पीएलआई कार्यक्रम के तहत, विनिर्माण सुविधा को दो साल की अवधि के भीतर स्थापित करना होगा। इसके बाद भारत में निर्मित बैटरियों की बिक्री पर पांच साल की अवधि में प्रोत्साहन दिया जाएगा।