For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

शेर को सवा शेर : चीन ने मांग Indian Railway से हर्जाना, रेलवे ने उलटा ठोका दावा

|

नई दिल्ली, अगस्त 28। चीन और भारतीय रेलवे के बीच एक विवाद चल रहा है। दरअसल दो साल पहले भारतीय रेलवे ने एक चीनी कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया था। इस मामले में चीनी कंपनी ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया और भारत से 279 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की। मगर भारतीय रेलवे की सब्सिडरी कंपनी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) ने चीनी कंपनी पर ही दावा ठोक दिया। डीएफसीसीआईएल ने चीनी कंपनी पर 71 करोड़ रु का दावा ठोका है।

विदेश से भारत में Gold लाने की इजाजत है या नहीं, अगर हां तो कितना, जानिए सब कुछविदेश से भारत में Gold लाने की इजाजत है या नहीं, अगर हां तो कितना, जानिए सब कुछ

क्या था कॉन्ट्रैक्ट

क्या था कॉन्ट्रैक्ट

भारतीय रेलवे ने उत्तर प्रदेश में कानपुर से दीन दयाल उपाध्याय तक सिग्नल और कम्युनिकेशन इक्विपमेंट्स के लिए साल एक चीनी कंपनी को 471 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट दिया था। ये कॉन्ट्रैक्ट 2016 में दिया गया था। इस काम को 2019 तक पूरा किया जाना था। मगर 2020 में ये काम पूरा नहीं हो पाया। फिर भारतीय रेलवे ने 2020 में कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया।

इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स

इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स

कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के चीनी कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया और भारतीय कंपनी ने 279 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा। ये है चाइनीज कंपनी चाइना रेलवे सिग्नलिंग एंड कम्युनिकेशन रिसर्च एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट। इसने इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स नियमों के सामने मामले को उठाया जो कि सिंगापुर में है। उधर भारतीय पक्ष ने भी पलटवार किया और इस चीनी कंपनी पर 71 करोड़ रुपये का दावा ठोका।

क्या है भारत की दलील
 

क्या है भारत की दलील

लद्दाख में चीन और भारतीय सेना के बीच हुए सीमा विवाद के दौरान भारत की ओर से ये कॉन्ट्रैक्ट समाप्त किया गया था। डीएफसीसीआईएल की दलील थी कि चीनी कंपनी ने गैर-जिम्मेदाराना रुख अपनाया। जैसा कि हमने बताया कि काम पूरा होना था 2019 में, मगर 2020 तक भी केवल 20 फीसदी काम ही पूरा किया गया था। बता दें कि चीनी कंपनी उस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट में भी उठा चुकी है। मगर उसे यहां भी निराशा हाथ लगी।

कई चीजों का भुगतान बाकी

कई चीजों का भुगतान बाकी

चीनी कंपनी ने कई कामों को लेकर क्लेम किया। ये चीजें कॉन्ट्रैक्ट के तहत लागू हो चुकी हैं। मगर उसका दावा है कि अभी इनके लिए भुगतान नहीं किया गया। इनमें बैंक गारंटी लौटाना, कई गारंटी राशि पर ब्याज और अन्य अतिरिक्त खर्च शामिल हैं। चीनी कंपनी के अनुसार ठेके को रद्द करना गलत था। उसने कहा कि भारतीय कंपनी इसके लिए उस प्रोसेस को फॉलो नहीं किया जो कॉन्ट्रैक्ट में थी।

डॉक्यूमेंट्स की मांग की गयी है

डॉक्यूमेंट्स की मांग की गयी है

एक रिपोर्ट के अनुसार दोनों पक्षों के दावों को सुना गया है और अब अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने सभी डॉक्यूमेंट्स मांगे हैं। बताया गया है कि भारतीय पक्ष की ओर से इस कॉन्ट्रैक्ट को खत्म करने की जो अहम वजह थी में उससे एक चीनी पक्ष का इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के डिजाइन जैसे तकनीकी दस्तावेजों का न देना शामिल है। रेलवे का दावा यहां तक है कि चीनी कंपनी ने कोई भी काम नहीं किया। चार साल में केवल 20 फीसदी काम ही किया। बताया ये भी गया है कि बाकी काम के लिए एक बार फिर से टेंडर जारी किया गया है। एक अलग ठेकेदार के तहत इस पर काम को फिर से शुरू किया जाएगा।

English summary

China demanded damages from Indian Railways in return Railways claimed crores

Indian Railways had awarded a contract worth Rs 471 crore to a Chinese company in the year for signal and communication equipment from Kanpur to Deen Dayal Upadhyay in Uttar Pradesh. This contract was awarded in 2016.
Story first published: Sunday, August 28, 2022, 17:58 [IST]
Company Search
Thousands of Goodreturn readers receive our evening newsletter.
Have you subscribed?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X