किसानों को सरकार से मिलेंगे और 10-10 हजार रु, इसलिए मिलेगा पैसा
नई दिल्ली, मई 23। किसानों की मदद के लिए केंद्र और राज्य सरकारें तरह-तरह की स्कीमें और योजनाएं चलाती रहती हैं। अब सरकारें किसानों को आर्थिक मदद भी देती हैं, ताकि वे मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल खेती में कर सकें। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को 10-10 हजार रु देने का ऐलान किया है। राज्य के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों को खरीफ सीजन 2021-22 से धान के अलावा कुछ अन्य फसलों की खेती के लिए 10,000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी मिलेगी।
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चुनिंदा फसलों के लिए मिलेगा पैसा
राज्य सरकार के फैसले के अनुसार जिन किसानों ने 2020-21 में धान बोया था, यदि उसी जमीन पर वे कोदो-कुटकी, गन्ना, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगंधित धान, धान की अन्य गढ़वाली किस्मों की खेती करते हैं या धान के स्थान पर वृक्षारोपण करते हैं, तो उन्हें 9,000 रुपये प्रति एकड़ के बजाय 10,000 रुपये प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाएंगे। इससे किसानों को दूसरी फसलें पैदा करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
राज्य में चावल की पैदावार अधिक
छत्तीसगढ़ में धान के अलावा अन्य फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हाल ही में हुई एक बैठक में यह फैसला लिया गया। बता दें कि छत्तीसगढ़ में चावल की खेती काफी बड़े पैमाने पर होती है। इसीलिए इसे मध्य भारत का 'चावल का कटोरा' कहा जाता है। सीएम ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दायरे को बढ़ाने और अगले सीजन से सभी प्रमुख खरीफ फसलों जैसे मक्का, सोयाबीन, गन्ना, कोदो-कुटकी, दलहन के साथ-साथ धान को कवर करने का निर्णय लिया।
पहले भी दिए गए 10 हजार रु
बता दें कि खरीफ सीजन 2019-20 में राज्य सरकार ने किसानों को धान की खेती के लिए प्रति एकड़ 10,000 रुपये की इनपुट सहायता प्रदान की थी। अब जो किसान खेतों में पेड़ लगाएंगे, उन्हें अगले तीन साल तक प्रति वर्ष 10,000 रुपये की इनपुट सब्सिडी दी जाएगी। सब्सिडी का पैसा सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर किया जाएगा।
और क्या हुआ फैसला
छत्तीसगढ़ सरकार ने गोबर से जैविक खाद बनाने को लेकर भी एक अहम फैसला किया है। सरकार इस खाद को किसानों को 6 रुपये प्रति किलो के रेट पर बेचेगी। बता दें कि छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने पिछले साल जुलाई में गोधन न्याय योजना शुरू की थी। गोधन न्याय योजना के तहत सरकार पशुपालकों से गोबर खरीदती है। ये गोबर पशुपालकों से 2 रु प्रति किलो (टांसपोर्ट शुल्क सहित) के मूल्य पर खरीदा जाता है। इससे वर्मी कम्पोस्ट और अन्य उत्पाद तैयार किए जाते हैं।
किसानों की इनकम बढ़ी
गोधन न्याय का फायदा उठाते हुए कई पशुपालक कमाई कर रहे हैं। दूध बेचने के साथ-साथ सरकार को गोबर बेचने से उनकी इनकम में बढ़ोतरी हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि 'गोधन न्याय योजना' के क्रियान्वयन और निगरानी की पूरी जिम्मेदारी जिला कलेक्टरों को सौंपी गई है। बघेल ने कहा था इस योजना के बारे में देश भर में बात की जा रही है। देश भर के अर्थशास्त्री और सामाजिक संगठन इस योजना की निगरानी कर रहे हैं। यह योजना गौवंश को एक लाभदायक वस्तु के रूप में बदल देगी।