कार : अमेरिका में छा रहीं मेड इन इंडिया कारें, लेकिन देश में मंदी
नई दिल्ली। एक तरफ भारत में भारतीय कारों की बिक्री घट रही है, लेकिन दूसरी तरफ अमेरिका में भारतीय कारों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसमें सबसे ज्यादा रोचक बात यह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ऐसा नहीं चाहते हैं, फिर भी वह भारतीय कारों को अमेरिका आने से रोक नहीं पा रहे हैं। अमेरिका की भारत से नाराजगी का सबसे बड़ा कारण वहां की सबसे फेमस मोटर साइकिल हार्ले डेविडसन पर भारत सरकार को ज्यादा टैक्स लगाना है। अमेरिका का मानना है कि भारत जानबूझ कर अमेरिकी वस्तुओं पर ज्यादा टैरिफ वसूलता है, जबकि अमेरिका कम टैरिफ लगाता है। इसी बात को लेकर ट्रंप कई बार नाराजगी जता चुके हैं, इसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी से हार्ले डेविडसन पर मामूली सा शुल्क कम कर दिया था, जिस पर अमेरिका ने नाराजगी जताई थी। लेकिन भारत ने ट्रंप की उस नाराजगी को अनदेखा कर दिया है। अब आयात-निर्यात के नए आंकड़े सामने आने पर पता चला है कि अमेरिका में भारत में बनी कारों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
अमेरिका में मेड इन इंडिया कार बढ़ा दबदबा
अमेरिका ने भारतीय सामानों पर काफी सख्ती दिखाई और कइयों पर टैरिफ भी बढ़ाया। लेकिन इसके बाद भी अमेरिका भारतीय कारों के लिए तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश बन गया है। मार्च 2019 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान भारत से करीब 65 करोड़ डॉलर मूल्य के बराबर की कारों का निर्यात अमेरिका को किया गया है। वहीं मार्च 2018 तक भारत ने कुल 30 डॉलर मूल्य के बराबर की कारें अमेरिका को निर्यात की थीं। इस प्रकार मार्च 2018 तक भारत अमेरिका को कार निर्यात करने वाले शीर्ष 80 देशों में भी शामिल नहीं था, लेकिन अब यह आंकड़ा बदल गया है।
अमेरिका की पहली पसंद बन रही फोर्ड इकोस्पोर्ट
मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिकी में भारत में बनी कार के निर्यात में फोर्ड इकोस्पोर्ट टॉप पर है। इसी एक कार की वजह से भारत का अमेरिका को कारों के निर्यात में बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। फोर्ड ने अपने चेन्नई संयंत्र में इकोस्पोर्ट एसयूवी का उत्पादन इसी साल शुरू कर अमेरिका को निर्यात शुरू किया है। इस कार की बदौलत भारत से कार निर्यात के मामले में फोर्ड ने हुंडई को पीछे कर दिया है।
मैक्सिको को कारों का निर्यात सबसे ज्यादा
भारत से सबसे ज्यादा कारें मैक्सिको को निर्यात होती हैं। मार्च 2019 तक 1.69 अरब डॉलर वैल्यू की कारें मैक्सिको को निर्यात की गईं थीं। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका का स्थान रहा, जिसे 66.6 करोड़ डॉलर वैल्यू की कारें निर्यात की गईं।
अमेरिका को निर्यात हुईं 45,000 कारें
वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम के आंकड़ों के अनुसार फोर्ड ने पिछले साल विभिन्न बाजारों में 90,500 ईकोस्पोर्ट का निर्यात किया है। ईकोस्पोर्ट के उत्पादन के लिए फोर्ड के 6 वैश्विक केंद्रों में से एक भारत भी है। वित्त वर्ष 2018 में भारतीय वाहन उद्योग ने 7,47,287 कारों का निर्यात किया था। फोर्ड ईकोस्पोर्ट की घरेलू बाजार में कीमत 7.8 से 11.8 लाख रुपये के बीच है।