इस दिवाली गाय के गोबर से बने इस 12 आइटम से घर सजाएं, जानिए कैसे खरीदें
जल्द ही दिवाली का त्योहार आने वाला है। दिवाली के पहले ही तैयारियां शुरु होने लगती हैं। इस दीवाली के शुभ अवसर पर अगर आप अपने घर को कुछ नया और डिफरेंट लुक देने की सोच रहे हैं तो ये खबर जरुर पढें।
नई दिल्ली: जल्द ही दिवाली का त्योहार आने वाला है। दिवाली के पहले ही तैयारियां शुरु होने लगती हैं। इस दीवाली के शुभ अवसर पर अगर आप अपने घर को कुछ नया और डिफरेंट लुक देने की सोच रहे हैं तो ये खबर जरुर पढें। जैसा की आप जानते है हिंदू रिति- रिवाज में गाय के गोबर की पूजा होती है। गोमूत्र : जानिए अचानक क्यों बढे रेट, कीमत जानकर रह जाएंगे हैरान ये भी पढ़ें
ऐसे में इस बार की दिवाली कुछ अलग होगी लोगों को गोबर से बने दीए, गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियां मिलेगी। जी हां चीन को जवाब देने के लिए भारत ने अब अपनी गाय के गोबर का सहारा लिया है। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग अगले महीने दिवाली के दौरान चीनी उत्पादों का मुकाबला करने के लिए गाय के गोबर से बने 33 करोड़ पर्यावरण अनुकूल दीए के उत्पादन करने का लक्ष्य तय कर रहा है।
दीवाली से जुड़े 12 आइटम गाय के गोबर से बनाए गए
इस दीवाली पर चीन के बने आइटम को टक्कर देने, गौशालाओं की आय का साधन बनाने और गाय के गोबर का महत्व लोगों तक पहुंचाने के मकसद से 'कामधेनु दीपावली अभियान' शुरु किया गया है। यह अभियान राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) ने शुरु किया है। इस अभियान के तहत दीवाली से जुड़े 12 आइटम खासतौर से गाय के गोबर से बनाए गए हैं। महिला समूहों को जोड़कर पहले उनहें सामान बनाने की ट्रेनिंग दी गई। उसके बाद समूहों को शहर-शहर में मौजूद गौशालाओं से जोड़ा गया। सामान तैयार किया गया। तैयार सामान आपसी जनसंपर्क और लोकल बाज़ार की मदद से लोगों के बीच बेचा रहा है।
जानिए गोबर से बनी कौन सी है 12 आइटम
बता दें कि आरकेए के अध्यक्ष का कहना है कि 'कामधेनु दीपावली अभियान' से पहले हम पीएम नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर गौमाया गणेश अभियान चलाया था। गाय का गोबर मिलाकर मूर्तियां तैयार की गईं थी। अभियान के सफल होने के बाद अब दीवाली के लिए तैयारी की गई है। दीवाली के लिए खास दिये, मोमबत्ती, धूपबत्ती, अगरबत्ती, शुभ-लाभ, स्वस्तिक, समरणी, हार्डबोर्ड, वॉल-पीस, पेपर-वेट, हवन सामग्री, भगवान लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां बनाई गई हैं/ इस अभियान से पंचगव्य उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा।
33 करोड़ गाय के गोबर से बने दीए
बता दें कि इस बात की जानकारी रखते हुए आरकेए के अध्यक्ष का कहना है कि वैसे तो डिमांड के हिसाब से जितना माल बन जाए उतना ही अच्छा है। लेकिन फिर भी हमने एक लक्ष्य तय किया है। जैसे देश के 11 करोड़ परिवारों तक 33 करोड़ गाय के गोबर से बने दीए पहुंचाने का लक्ष्य लिया है। इसमे से 3 लाख दीयों का ऑर्डर हमे अयोध्या, एक लाख वाराणसी से पहले ही मिल चुका है। इसके पीछे सबसे बड़ा मकसद चीन के बने दीयों को खत्म कर अपने लोगों के लिए रोज़गार के रास्ते खोलने हैं।
रोज़गार के बढ़ेंगे अवसर
वहीं शुरुआत के दौरान बने सामानों की संख्या और उसे बनाने वालों की संख्या कम हो, लेकिन सरकार का मकसद है कि इसे बढ़ाकर हर भारतीय घर तक गाय के गोबर से बने यह 12 आइटम पहुंचाने का है। इसी के चलते रोज़गार बढ़ाने और इस अभियान से हर भारतीय को जोड़ने के लिए शुरुआती पहल में हमने डेयरी किसानों, बेरोजगार युवाओं, महिलाओं और युवा उद्यमियों, गौशालाओं, गोपालकों, स्वयं सहायता समूहों आदि जैसे और भी दूसरे लोगों को जोड़ने का अभियान जारी है।
क्या है राष्ट्रीय कामधेनु आयोग
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग केंद्र सरकार ने बनाया है। यह आयोग मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत आता है। केंद्र सरकार द्वारा 6 फरवरी, 2019 को इस आयोग को स्थापित किया गया था और इसका उद्देश्य 'गायों का संरक्षण और विकास' है। केंद्रीय बजट 2019-20 में इसकी घोषणा की गई थी। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया हैं।
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