Budget 2022 : जानिए Mutual Funds इंडस्ट्री क्या मांग रही, मिलेगा या नहीं
नई दिल्ली, जनवरी 27। शेयर बाजार में निवेश करने पर कई टैक्स को चुकाना पड़ता है। वहीं अगर निवेश के बाद बेचने पर फायदा हो तो फिर बेचने पर टैक्स के अलावा इस फायदे पर टैक्स अलग से देना होता है। वहीं अगर किसी निवेशक को शेयर बाजार में नुकसान हो तो उसे कोई राहत नहीं मिल पाती है। ऐसे में उम्मीद की जाती है कि सरकार अपने बजट में शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को कोई राहत दे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2022 को संसद में बजट पेश करेंगी। यह उनका लगातार चौथा बजट है।
अभी इतना है टैक्स
अभी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 10 फीसदी है। वहीं 1 वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन इनकम टैक्स से फ्री भी होता है। वहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स उसे कहते हैं, जहां पर आमदनी 12 महीने तक शेयर या म्यूचुअल फंड रखने के बाद बेचने पर हो।
वहीं 12 महीने से पहले अपने निवेश को बेचने पर लगने वाला शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15 फीसदी है।
शेयर बाजार के अन्य टैक्स
शेयर बाजार में बेचे और खरीदे जाने वाले शेयरों पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) लगता है। शेयरों की बिक्री पर बेचने वाले को 0.025 फीसदी एसटीटी देना पड़ता है। यह टैक्स शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है। वहीं डिलीवरी बेस्ड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर 0.001 फीसदी की दर से टैक्स का भुगतान करना होता है।
जानिए क्या हैं इस बजट से उम्मीदें
बाजार के जानकारों ने इस बार बजट से पहले सरकार को अपनी उम्मीदों से अवगत करा दिया है। स्टॉक मार्केट और म्यूचुअल फंड में निवेश पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स और शार्ट टर्म कैपिटल गैन के अलावा एसटीटी लगता है। इसके चलते निवेश की लागत बढ़ने के अलावा कई अन्य दिक्कतें बढ़ती है। इसीलिए जानकारों का मानना है कि सरकार देश में लिस्टेड इक्विटी शेयरों की बिक्री पर लॉगटर्म कैपिटल गैन टैक्स को खत्म कर स्टॉक एक्सचेंज के जरिए निवेश को बढ़ाने में मदद करेगी। वैसे भी दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में एलटीसीजी जैसा कोई टैक्स नहीं है।
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