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Budget 2022 : IMF की गीता गोपीनाथ ने दिए सरकार को सुझाव, जानिए क्या-क्या

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नई दिल्ली, जनवरी 27। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश किए जाने में अब बहुत कम दिन बचे हैं। अब से कुछ दिनों बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी। जैसा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण आर्थिक रिकवरी की गति थोड़ी कम हो सकती है, वित्त मंत्री पर अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकालने की जिम्मेदारी होगी। इस बीच आईएमएफ (इंटरनेशनल मोनेट्री फंड) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक ग्रोथ के लिए अनुमान को कम किया है। इसकी वजह है ओमिक्रॉन वेरिएंट को काबू में रखने के लिए लगाए गए प्रतिबंध। मगर अब भी आईएमएफ को 9 फीसदी की विकास दर रहने का अनुमान है। यह विचार आईएमएफ की पहली डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्ट गीता गोपीनाथ विचारों से मिलते हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार एसेट मोनेटाइजेशन प्रोग्राम के साथ इंफ्रा के लिए निवेश जारी रखेगी। उन्होंने सरकार को बजट के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं।

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Budget 2022 : IMF की गीता गोपीनाथ ने दिए सरकार को सुझाव

क्या दिए हैं सुझाव
गोपीनाथ के अनुसार ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का बजट में ध्यान रखा जाना चाहिए और इसके लिए बढ़िया फंडिंग की जानी चाहिए। उन्होंने मार्च के बाद भी फ्री राशन सुनिश्चित करने को कहा है। ताकि इससे असमान रिकवरी की समस्या का हल हो। फिलहाल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत फ्री राशि को इस साल मार्च तक के लिए बढ़ाया गया है। वे उम्मीद करती हैं कि सरकार स्वास्थ्य खर्च पर ज्यादा फोकस करेगी और शिक्षा पर खर्च बढ़ाएगी।

फिस्कल डेफिसिट टार्गेट
गोपीनाथ ने सरकार से कहा है कि फिस्कल डेफिसिट एक सही लक्ष्य बताया जाना चाहिए जो कि मध्य अवधि के लिए हो। उनका मानना है कि इससे फाइनेंसिंग कॉस्ट को कम रखने में मदद मिलेगी। खास कर ऐसे समय पर जब अमेरिका जैसे देश ब्याज दरें बढ़ाने जा रहे हैं।

महंगा हो सकती है ऊर्जा
गोपीनाथ के अनुसार अमेरिका जैसे देशों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी संभव है। इसके साथ ही जिओपॉलिटिकल टेंशन (यूएई पर हूथी हमले जैसी घटना) के चलते ऊर्जा महंगी हो सकती हैं। इससे उभरती अर्थव्यवस्थआओं के सामने दिक्कत आ सकती है, जिनमें भारत भी शामिल है।

English summary

Budget 2022 Gita Gopinath of IMF gave suggestions to the government know what

According to Gopinath, it is possible to increase interest rates in countries like America. In addition, geopolitical tensions (such as the Houthi attack on the UAE) can make energy costlier.
Story first published: Thursday, January 27, 2022, 12:58 [IST]
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