Budget 2022 : GST ट्रिब्यूनल का गठन संभव, जानिए क्या होगा फायदा
नई दिल्ली, जनवरी 30। नरेंद्र मोदी सरकार अप्रत्यक्ष कर मामलों (इनडायरेक्ट टैक्स लिटिगेशंस) के समाधान में तेजी लाने के प्रयास में केंद्रीय बजट 2022-23 में एक वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) स्थापित करने का प्रस्ताव रख सकती है। सरकार जीएसटीएटी की स्थापना पर विचार कर रही है जिसका उद्देश्य अनुपालन (कंप्लायंस) बोझ को कम करना और ईज ऑफ बिजनेस को बढ़ावा देना होगा। यदि ऐसा होता है तो कारोबारियों को काफी राहत मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि इस समय करदाताओं के सामने कोई दिक्कत आती है, तो उन्हें उच्च न्यायालयों में अपील करनी पड़ती है, जो एक महंगा और समय लेने वाली प्रोसेस बन जाती है।
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मिल रहीं शिकायतें
एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार को शिकायतें मिल रही हैं कि जीएसटी अधिकारी अक्सर करदाताओं पर तय कर दी गयी टैक्स राशि का भुगतान करने के लिए दबाव डालते हैं। जबकि करदाताओं का तर्क होता है कि इस तरह की टैक्स कैल्कुलेशन मनमानी और गलत हैं। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करने में असमर्थ कई करदाता विरोध के बावजूद जीएसटी बकाया का भुगतान करते हैं। यदि जीएसटीएटी का गठन होता है तो कारोबारी करदाताओं की ऐसी दिक्कतों का कम खर्च और तेजी से निपटारा हो सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था निर्देश
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सितंबर 2021 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन करने के लिए कहा था। इसे जीएसटी अधिनियम के लागू होने के बाद से चार साल बाद भी स्थापित नहीं किया गया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के नेतृत्व वाली पीठ ने भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि सीजीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं किया गया है। आपको ट्रिब्यूनल का गठन करना है।
प्रस्ताव हो चुका है पारित
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तो 2019 में ही जीएसटी कानून के तहत नेशनल जीएसटीएटी और इसकी क्षेत्रीय बेंच स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी। सरकार ने प्रस्ताव रखा था कि ट्रिब्यूनल की नेशनल बेंच राष्ट्रीय राजधानी में स्थित होगी। साथ ही कहा गया था कि इसकी अध्यक्षता एक प्रेसिडेंट द्वारा की जाएगी। इसमें एक तकनीकी सदस्य केंद्र से और दूसरा राज्य से होगा। मगर सरकार ने इसका गठन नहीं किया।
जरूरी है जीएसटीएटी
नियमानुसार जीएसटीएटी दूसरी अपील का फोरम है। साथ ही यह केंद्र और राज्यों के बीच विवाद समाधान का पहला कॉमन प्लेटफॉर्म भी है। इसी से समझा जा सकता है कि इसकी इतनी अधिक जरूरत क्यों है।