Budget 2022 : स्टैंडर्ड डिडक्शन और बच्चों की शिक्षा के लिए बचत पर टैक्स छूट की उम्मीद
नई दिल्ली, जनवरी 19। वित्त वर्ष 2005-06 में समाप्त किए जाने के बाद इनकम टैक्स में सैलेरी वाले करदाताओं के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन (मानट कटौती) वित्त वर्ष 2018-19 में फिर से शुरू की गयी थी। तब इसकी लिमिट 40,000 रुपये थी। इसके बाद 2019-20 के बजट में इसे बढ़ा कर 50 हजार रु कर दिया गया। मगर जानकारों का मानना है कि सालों से मुद्रास्फीति की बढ़ती लागत और मौजूदा समय में वेतनभोगी व्यक्तियों के खर्चे को देखते हुए 50 हजार रु की कटौती की लिमिट काफी कम है। इसीलिए इसे आगामी बजट में बढ़ाने की मांग की गयी है। स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ा कर कम से कम 75 हजार रु किए जाने की मांग की गयी है।
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सैलेरी क्लास को मिलेगी राहत
अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आयरलैंड आदि जैसे कई देशों ने कोविड-19 से संबंधित चिकित्सा खर्च (जैसे मेडिकल सप्लाई, टेस्टिंग किट आदि) और होम ऑफिस सेट-अप सहित वर्क फ्रॉम होम खर्च पर कुछ टैक्स छूट की शुरुआत की है। भारत में अभी तक ऐसी कोई कटौती/छूट की शुरुआत नहीं की गई है। इसलिए यदि स्टैंडर्ड कटौती की लिमिट बढ़ाई जाती है तो ये सैलेरी क्लास के लिए काफी फायदेमंद कदम हो सकता है।
बच्चों की शिक्षा के लिए बचत पर टैक्स छूट
जानकार एक और चीज सरकार से आगामी बजट में चाहते हैं। वे है बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए बचत पर टैक्स कटौती की आवश्यकता। बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए बचत किसी भी व्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण फाइनेंशियल टार्गेट होता है और आम तौर पर लोग इनकम का एक हिस्सा ऐसी बचत के लिए निर्धारित करते हैं। हालांकि, वर्तमान में, सुकन्या समृद्धि योजना को छोड़कर ऐसी बचत के लिए कोई स्पष्ट कटौती/छूट का प्रावधान नहीं है। वैसे भी सुकन्या समृद्धि योजना केवल एक बालिका के लिए है।
कितनी हो छूट
जानकारों का मानना है कि इस संबंध में शिक्षा बचत के लिए न्यूनतम 1.5 लाख रुपये की अलग से कटौती एक अच्छा कदम होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस तरह के पैसे का कोई दुरुपयोग न हो पैसे को (उस पर अर्जित ब्याज सहित) सीधे तब शैक्षणिक संस्थानों को ट्रांसफर किया जा सकता है, जब बच्चे को उच्च शिक्षा के लिए भर्ती कराया जाए।