Budget Expectations : ऑनलाइन एजुकेशन को इन एलानों से मिल सकता है बूस्ट
इस साल का आम बजट (केंद्रीय बजट) बेहद खास रहने वाला है। महामारी के दौर में बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होगा। 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश किया जाएगा।
नई दिल्ली: इस साल का आम बजट (केंद्रीय बजट) बेहद खास रहने वाला है। महामारी के दौर में बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होगा। 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश किया जाएगा। आर्थिक संकट के कारण यह बजट हर लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। महामारी की वजह से जिस क्षेत्र में सबसे ज्यादा बदलाव आया है, उसमें से एक एजुकेशन सेक्टर है। ट्रेडिशनल लर्निंग अब डिजिटल लर्निंग में बदल गई है। छात्रों और अभिभावकों के अलावा, अध्यापकों पर भी बड़ा असर हुआ है। पढ़ाई में इन रुकावटों को देखते हुए, ऐसे में ये जरुरी हो जाता है कि आने वाले बजट में वित्तीय कदमों के जरिए सुधार के तरीकों को अपनाया जाए।
-मिली जानकारी के मुताबिक, 50 फीसदी से ज्यादा निजी स्कूलो ने फीस नहीं ली है, जो उनके सालाना रेवेन्यू का 13 से 80 फीसदी होता है। ऐसे में अध्यापकों की सैलरी और हाइब्रिड पढ़ाई के लिए तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर का अपग्रेडेशन बहुत प्रभावित होगा। इसलिए बजट में सरकार को राहत कोष स्थापित करने पर विचार करना आवश्यक है।
-सरकारी स्कूलों में पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की जरूरत है, जिससे जल्दी से जल्दी पढ़ाई में अंतर की इस परेशानी को खत्म किया जा सके। ऐसे में इस बजट एक फंड स्थापित किया जा सकता है, जिससे अलग-अलग राज्य सरकारें सरकारी स्कूलों के लिए निजी संस्थाओं की मदद ले सकें।
-राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बच्चों के लिए स्कूल आधारित आकलन को नेशनल असेस्मेंट सेंटर, एनसीईआरटी और एससीईआरटी की अगुवाई में दोबारा से तैयार करने की बात कही गई है। यह छात्रों को सही स्किल विकसित करने के लिए एक गेमचेंजर हो सकता है।
-देखा जाएं तो लगभग एक साल स्कूल बंद रहने के बाद छात्रों में विकसित पढ़ाई का में आया एक अंतराल है। स्कूल अपने स्तर पर अंतराल को भरने के लिए तरीकों पर पहले से विचार कर रहे हैं। इसमें अफोर्डेबल प्राइवेट स्कूलों के लिए एक फंड मदद कर सकता है, जिससे दो क्लास में रिफ्रेशर कोर्स या ब्रिज प्रोग्राम के लिए प्रावधान किए जा सकते हैं।
-ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई आगे भी रहने वाली है। सरकार को प्रत्येक अफोर्डेबल प्राइवेट स्कूल में कम से कम एक डेटा कनेक्शन उपलब्ध कराना चाहिए, जिससे स्कूलों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से आगे चलकर छात्रों की पढ़ाई का नुकसान नहीं हो।
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