बजट 2020 : चीन को लगेगा झटका, जानें क्या है तैयारी
सस्ता चीनी सामान खरीदना अब महंगा पड़ेगा। इस बजट 2020 में केंद्र सरकार सस्ते चीनी सामान पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा रही है।
नई दिल्ली: सस्ता चीनी सामान खरीदना अब महंगा पड़ेगा। इस बजट 2020 में केंद्र सरकार सस्ते चीनी सामान पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा रही है। सरकार जल्द ही पेपर, फुटवेयर, फर्नीचर, रबर आइटम और खिलौनों जैसे कई उत्पादों पर सरकार आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला कर सकती है। जानकारी के अनुसार, 'मेक इन इंडिया' और मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ को बूस्ट देने के लिए सरकार आगामी बजट में यह एलान कर सकती है। कॉमर्स मिनिस्ट्री ने अपनी बजट सिफारिशों में यह सुझाव वित्त मंत्रालय को दिया है। मिली जानकारी के अनुसार, भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट वाले देशों के जरिए चीन अपना सस्ता सामान भारत में डंप कर रहा है। ऐसे में आयात शुल्क बढ़ाए जाने से इनमें काफी हद तक लगाम लग सकती है।
जूते, फर्नीचर, खिलौने, रबर आइटम होंगे महंगे
मालूम हो कि कॉमर्स मिनिस्ट्री ने अलग-अलग सेक्टर के 300 से अधिक उत्पादों, जिनमें फर्निचर, केमिकल्स, रबर, कोटेड पेपर और पेपर बोर्ड भी शामिल है, पर आयात शुल्क या बेसिक आयात ड्यूटी में बढ़ोतरी की प्रस्ताव दिया है। जिसमें लकड़ी, मेटल और प्लास्टिक खिलौनों पर मंत्रालय ने आयात शुल्क मौजूदा 20 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी तक करने का सुझाव दिया है। याद दिला दें कि 2018-19 में खिलौनों का आयात करीब 30.2 करोड़ डॉलर का हुआ था, इसमें से 28.18 करोड़ डॉलर का आयात चीन और हांगकांग से हुआ।
रबर पर 40 फीसदी करने का प्रस्ताव
बता दें कि कॉमर्स मिनिस्ट्री के प्रस्ताव के अनुसार, रबर के न्यूमैटिक टायर्स पर आयात शुल्क मौजूदा 10-15 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने का प्रस्ताव है। इसी प्रकार फुटवेयर और इससे जुड़े उत्पादों पर आयात शुल्क 25 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी करने की सिफारिश की गई है। सस्ते फुटवेयर का बड़ी मात्रा में आयात होता है। इन पर आयात शुल्क बढ़ने से घरेलू बाजार में कीमतें प्रतिस्पर्धी होंगी। वहीं अधिकांश आयात आसियान देशों से होता है। इनके साथ भारत का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है। इसमें इस बात का भी संदेह है कि चीन इन देशों के जरिए बड़ी मात्रा में सस्ते फुटवेयर भारत में डंप कर रहा है।
वेस्ट पेपर और वूड पल्प पर आयात शुल्क खत्म करने का सुझाव
मंत्रालय ने लकड़ी के फर्नीचर पर आयात शुल्क मौजूदा 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी करने की सिफारिश की है। वहीं कोटेड पेपर्स, पेपर बोर्ड और हैंडमेड पेपर्स पर ड्यूटी डबल यानी 20 फीसदी करने का सुझाव कॉमर्स मिनिस्ट्री ने दिया है। कॉमर्स मिनिस्ट्री ने हालांकि वेस्ट पेपर और वूड पल्प पर आयात शुल्क खत्म करने का सुझाव दिया है। अभी इन पर ड्यूटी क्रमश: 10 फीसदी और 5 फीसदी है। पेपर इंडस्ट्री ने सस्ते आयात पर अपनी चिंताएं मंत्रालय के सामने रखी थीं।
कोटेड पेपर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री पर सस्ते आयात का काफी बुरा असर हो रहा है। इस पर आयात शुल्क बढ़ने से ग्लोबल कंपनियों से घरेलू कंपनियों को मुकाबला करने में आसानी होगी। इसके अलावा घरेलू मैन्युफैक्चरर के हितों को भी सुरक्षित किया जा सकेगा।
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