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चीन के विरोध से BSNL असहमत, कहा घाटे में होगी बढ़ोत्तरी

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नयी दिल्ली। चीन के साथ हुए सीमा विवाद के बाद भारत ने बीजिंग को कई कारोबारी मोर्चों पर झटके दिए हैं। इनमें सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल के 4जी विस्तार में चीनी कंपनियों के उपकरण इस्तेमाल न करने का फैसला भी शामिल है। मगर अब बीएसएनएल ने सरकार के फैसले से असहमति जताई है। बीएसएनएल के मुताबिक 4जी टेंजर से चीनी कंपनियों को बाहर करने से इसका घाटा और बढ़ेगा। बीएसएनएल ने इस मामले में सरकार के फैसले से खुले तौर पर असहमति जाहिर की है। मालूम हो कि सरकार ने आधिकारिक तौर पर अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है, लेकिन थिंक टैंक संस्थान नीति आयोग ने हाल ही में सिफारिश की है कि बीएसएनएल का 4जी नेटवर्क केवल लोकल डिजाइन, डेवलपमेंट और निर्मित (आईडीडीएम) उत्पादों से इस्तेमाल से तैयार किया जाना चाहिए।

 

क्या होगा नुकसान

क्या होगा नुकसान

सरकार के इस फैसले के खिलाफ बीएसएनएल के अधिकारियों को लगता है कि अगर सरकार द्वारा ऐसा कोई भी निर्णय लिया जाता है और कंपनी पर थोपा जाता है, तो यह 70,000 करोड़ रुपये से अधिक के सरकारी राहत पैकेज के बावजूद बीएसएनएल और उसके रिवाइवल को और अधिक कमजोर कर देगा। चीन के अलावा बीएसएनएल के 4जी टेंडर के लिए कुछ और देशों की भी कंपनियां भी सामने हैं। नोकिया, एरिक्सन, सैमसंग, जेडटीई या हुआवेई जैसे विदेशी वेंडरों को निविदा में भाग लेने से रोकने के जोखिम का मतलब होगा कि उपकरणों की खरीद लागत में 25% से अधिक की वृद्धि और देरी होगी।

सही फैसला ले सरकार
 

सही फैसला ले सरकार

बीएसएनएल अधिकारियों का कहना है कि जब सरकार कंपनी के रिवाइवल (बेहतर स्थिति करने) के लिए इसे पैसा मुहैया करा रही है, तो उसे किसी भी ऐसे कदम का समर्थन करना चाहिए, जिससे लागत में वृद्धि के साथ-साथ नेटवर्क की शुरुआत में भी देरी न हो। इसके अलावा अधिकारियों का कहना है कि अगर विदेशी वेंडरों से उपकरण खरीदने पर प्राइवेट टेलीकॉम पर कोई रोक नहीं है तो सरकारी कंपनी के लिए ये फैसला क्यों जरूरी है। बीएसएनएल ने बताया है कि इसने टेक्नोलॉजी के नए विनिर्देशों पर विचार-विमर्श के बाद निविदा पेश की है है और इस प्रक्रिया में किसी भी तरह का हस्तक्षेप उस कंपनी के लिए उचित नहीं है जिससे कमर्शियल लाइन पर चलने की उम्मीद जाती है।

क्या है बीएसएनएल की जरूरत

क्या है बीएसएनएल की जरूरत

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बीएसएनएल के सीएमडी के मुताबिक टेंडर पब्लिक डोमेन में है और कोई भी खरीद सकता है और बोली लगा सकता है। बीएसएनएल को 40-वाट ट्रांसमिशन पावर / पोर्ट / आरएएन की आवश्यकता है, जो उपयोग करने के लिए तैयार हो। बीएसएनएल के पास प्रयोग के लिए पैसे नहीं हैं।

चीन को भारत ने दिया दोहरा झटका, रेलवे और टेलीकॉम कारोबार छीनाचीन को भारत ने दिया दोहरा झटका, रेलवे और टेलीकॉम कारोबार छीना

English summary

BSNL disagrees with govt to oppose China said losses will increase

The risk of preventing foreign vendors such as Nokia, Ericsson, Samsung, ZTE or Huawei from participating in the tender would mean that the purchase cost of the devices would increase and delay by more than 25%.
Story first published: Tuesday, June 30, 2020, 15:02 [IST]
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