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एलपीजी ग्राहकों के लिए बड़ी खबर : बिकने जा रही है ये कंपनी, जानिए आपको कैसे मिलेगा सिलेंडर

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नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने बहुत सारी कंपनियों में विनिवेश की तैयारी कर रखी है। इनमें से कुछ कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेच चुकी और कुछ कंपनियों में हिस्सेदारी बेची जानी बाकी है। केंद्र सरकार की कई कंपनियों का आपस में विलय करने की भी तैयारी है। जिन कंपनियों में सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचेगी उनमें भारत पेट्रोलियम भी शामिल है। सवाल ये है कि फिर भारत पेट्रोलियम के एलपीजी ग्राहकों को सिलेंडर कैसे मिलेगा? बता दें कि सरकार का प्लान भारत पेट्रोलियम के सब्सिडाइज्ड ग्राहकों को इंडियन ऑयल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम में ट्रांसफर करने का है। यानी अब भारत पेट्रोलियम के सब्सिडाइज्ड ग्राहक इंडियन ऑयल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम में शामिल किए जाएंगे।

 

कितना समय लगेगा

कितना समय लगेगा

बता दें कि सरकार को इन ग्राहकों को एक से दूसरी कंपनी में ट्रांसफर करने में 3 से 5 साल लग सकते हैं। फिलहाल इस प्रस्ताव को पेट्रोलियम मंत्रालय बहुत जल्द कैबिनेट के सामने पेश करके मंजूरी लेगा। देखा गया है कि सरकारी तेल कंपनियों को अक्सर सब्सिडी समय पर नहीं मिलती है। कई बार सब्सिडी जारी करने में सालों का समय लग लग जाता है। वाहन ईंधन को डी-कंट्रोल करने के बाद अब सब्सिडी उज्ज्वला योजना के तहत गरीबों के लिए रसोई गैस, केरोसिन और रसोई गैस कनेक्शन के लिए दी जाती है।

कितना है बकाया
 

कितना है बकाया

वित्त वर्ष 2019-20 की समाप्ति पर भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के ग्राहकों का कुल सब्सिडी बकाया 27 हजार करोड़ रु था। इसमें इंडियन ऑयल की 50 फीसदी और बाकी दोनों कंपनियों की हिस्सेदारी 25-25 फीसदी है। इनमें भारत पेट्रोलियम के करीब 7.3 करोड़ एलपीजी ग्राहक हैं। तेल मंत्रालय का इरादा भारत पेट्रोलियम को 3-5 साल तक विभाजित इकाई रखने का है ताकि हिस्सेदारी बेचने के बाद भी एलपीजी सब्सिडी को बरकरार रखने में मदद मिल सके। सरकार को भारत पेट्रोलियम की हिस्सेदारी बेचने के लिए कई आवेदन मिले हैं। हालांकि केवल वेदांता ने ही भारत पेट्रोलियम में हिस्सेदारी बेचने की बात स्वीकार की है। सरकार की भारत पेट्रोलियम में 52.98 फीसदी हिस्सेदारी है।

कितनी बड़ी है भारत पेट्रोलियम

कितनी बड़ी है भारत पेट्रोलियम

भारत पेट्रोलियम भारत में चार रिफाइनरियों का संचालन करती है। भारत की 250 मिलियन टन (एमटी) रिफाइनिंग क्षमता में इसकी 15 फीसदी हिस्सेदारी है। इसका देश भर में 17 हजार रिटेल फ्यूल आउटलेट का नेटवर्क है। देश की रिटेल मार्केट में इसकी हिस्सेदारी 1 चौथाई से ज्यादा है। भारत पेट्रोलियम का निजीकरण सरकार के लिए अहम माना जा रहा है। इस समय भारत पेट्रोलियम की मार्केट कैपिटल 82,019.45 करोड़ रु है। यानी इसमें सरकार का हिस्सा 44,000 करोड़ रु से अधिक है।

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English summary

BPCL customers to be merged with Indian oil and hindustan petroleum

It may take 3 to 5 years for the government to transfer these customers from one company to another. At present, this proposal will be approved by the Petroleum Ministry by presenting it before the Cabinet very soon.
Story first published: Thursday, November 26, 2020, 18:04 [IST]
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