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बड़ी राहत : अप्रैल-जून तिमाही में 20.1 फीसदी बढ़ी GDP, जानिए पूरे आंकड़े

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नई दिल्ली, अगस्त 31। इकोनॉमी के मोर्चे पर एक बहुत अच्छी खबर आई है। अप्रैल-जून तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 20.1 फीसदी रही है। अप्रैल-जून तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ एक रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचेगी, इस बात का अनुमान पहले से ही लगाया जा रहा था। रॉयटर्स के एक पोल के अनुसार पिछले साल समान अवधि में कमजोर आधार और उपभोक्ता खर्च में तेज रिकवरी से विकास दर को सहारा मिलना तय था। 20 से 25 अगस्त तक 41 अर्थशास्त्रियों के साथ हुए पोल में संभावना जताई गई कि इन तीन महीने की अवधि में भारत की जीडीपी में 20.0 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 24.4 प्रतिशत की रिकॉर्ड गिरावट आई थी। आरबीआई ने जून तिमाही के जीडीपी में साल-दर-साल आधार पर 21.6 फीसदी बढ़त का अनुमान लगाया था।

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जानिए पूरे आंकड़े

जानिए पूरे आंकड़े

पहली तिमाही में स्थिर कीमतों (2011-12) पर भारत की जीडीपी 32.38 लाख करोड़ रुपये रही, हालांकि यह अभी भी 2019-20 की पहली तिमाही में रहे 35.66 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े से कम है, जो इस बात का संकेत है कि भारत अभी तक कोविड के कारण आई मंदी से उभर नहीं पाया है। निर्माण क्षेत्र का जीवीए (ग्रॉस वैल्यू एडेड) पिछले वर्ष की तुलना में 68.3% अधिक रहा। वहीं सर्विस सेक्टर का जीवीए एक साल पहले की अवधि से 3.7% अधिक रहा बढ़ा। पिछली तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 1.6% बढ़ी थी। वहीं पूरे वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी में 7.3% की गिरावट आई थी।

प्राइवेट फाइनल कंजम्पशन एक्सपेंडीचर

प्राइवेट फाइनल कंजम्पशन एक्सपेंडीचर

इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में प्राइवेट फाइनल कंजम्पशन एक्सपेंडीचर (निजी अंतिम उपभोग व्यय) 17.83 लाख करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले की अवधि से ऊपर है, लेकिन अभी भी 2019-20 के स्तर से कम है।

8 कोर इंडस्ट्रीज

8 कोर इंडस्ट्रीज

इस बीच आठ प्रमुख क्षेत्रों का उत्पादन जुलाई में 9.4% बढ़ा। इसके पीछे 2020 के समान महीने में रहा लो-बेस अहम कारण रहा। दूसरी लहर के बाद प्रतिबंधों में राहत के मद्देनजर आठ में से सात क्षेत्रों में सकारात्मक वृद्धि देखी गई। कच्चे तेल उद्योग को छोड़कर, अन्य सभी ने सालाना आधार पर तेजी दिखाई है। सीमेंट उद्योग ने 21.8 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई, जबकि इस्पात उद्योग में 9.3 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि हुई। इन 8 सेक्टरों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात, सीमेंट, उर्वरक और बिजली शामिल हैं।

कितना रहा राजस्व घाटा

कितना रहा राजस्व घाटा

वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों यानी अप्रैल-जुलाई में भारत का राजकोषीय घाटा 3.21 लाख करोड़ रुपये (43.98 अरब डॉलर) रहा। अन्य शब्दों में कहा जाए तो पूरे वर्ष के लिए जो राजकोषीय घाटे का बजटीय लक्ष्य है, उसका 21.3 फीसदी रहा। आंकड़ों से पता चलता है कि नेट टैक्स रिसीट्स (टैक्स कलेक्शन) 5.21 लाख करोड़ रुपये की रहीं, जबकि कुल खर्च 10.04 लाख करोड़ रु का रहा। अप्रैल-जुलाई के दौरान कुल प्राप्तियां 6,83,297 करोड़ रुपये रही। ये बजट अनुमान 2021-22 का 34.6 प्रतिशत है। इसमें 5,29,189 करोड़ रुपये टैक्स इनकम, 1,39,960 करोड़ रुपये नॉन-टैक्स इनकम और 14,148 करोड़ रुपये नॉन-डेब्ट कैटिपल प्राप्तियां शामिल रहीं। नॉन-डेब्ट कैटिपल प्राप्तियां प्राप्तियों में 5,777 करोड़ रुपये के लोन की वसूली और 8,371 करोड़ रुपये की विनिवेश इनकम शामिल रही।

English summary

Big relief GDP grew by more than 20 percent in April June quarter know full figures

The RBI had projected a 21.6 per cent year-on-year growth in GDP for the June quarter.
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