सरकारी Bank वालों के लिए बड़ी खबर : RBI ने कहा, हड़बड़ी में बेचना ठीक नहीं
नई दिल्ली, अगस्त 19। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा है कि सरकारी बैंकों का बड़े पैमाने पर निजिकरण करना ठीक नहीं है। हड़बड़ी में बैंको का निजिकरण करने से फायदे से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। रिजर्व बैंक ने एक बुलेटिन जारी कर देश के वित्तीय सिस्टम को दुरस्त रखने में सरकारी बैंकों के प्रायासो को खूब सराहा है। बुलेटिन में आरबीआई ने कहा है कि बड़े पैमाने पर निजीकरण करना ठीक नहीं है। आरबीआई ने कहा कि सरकारी बैंकों का लक्ष्य अधिकतम मुनाफा कमाना भर नहीं होता है। सरकारी बैंक देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने में सबसे आगे हैं।
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कोविड के दौरान सरकारी बैंको ने किया मजबूती से काम
रिजर्व बैंक ने अपने बुलेटिन में बताया है कि कोविड महामारी के हालात के दौरान सरकारी बैंकों ने काफी मज़बूती से काम किया। सरकार ने हाल के दिनों कई सरकारी बैंको का मर्जर किया है इससे बैंकिंग सेक्टर बड़े पैमाने पर कंसॉलिडेशन भी हुआ है। आरबीआई का कहना है कि हाल के कुछ सालों में देश के सरकारी बैंकों पर बाजार का भरोसा काफी हद तक बढ़ा है। इसलिए सरकारी बैंकों का एकसाथ बड़े पैमाने पर निजीकरण करना नुकसानदेह साबित हो सकता है।
सरकारी बैंक केवल मुनाफा कमाने के लिए काम नहीं करते हैं।
आरबीआई ने जारी किए गए बुलेटिन में लिखा है कि सरकारी बैंकों का मकसद केवव अधिकतम मुनाफा कमाने का नहीं होता है। पब्लिक सेक्टर बैंकों ने ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने के लक्ष्य को अपने कामकाज का हिस्सा बनाया है। आरबीआई ने कहा है कि निजि क्षेत्र के बैंक ऐसा कर नहीं पा रहे हैं। सरकार को सोच समझ के कदम बढ़ाना चाहिए।
बैंको का नहीं करना चाहिए अंधाधूंध प्राइवेटाइजेशन
रिजर्व बैंक ने जिस बुलेटिन को जारी किया है उसका नाम है, "प्राइवेटाइजेशन ऑफ पब्लिक सेक्टर बैंक्स : एन अल्टरनेटिव पर्सपेक्टिव" इस लेख में सरकार को बैंको का प्राइवेटाइजेशन न करने की सलाह दी गई है। यह बुलेटिन तब जारी हुई है जब सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों के निजीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने के संकेत दे रही है। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि केंद्र सरकार आईडिबीआई बैंक के अलावा दो और सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करना का फैसला लेगी।