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LIC पर बड़ा खुलासा, विदेश में भी हो सकती है लिस्टिंग

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नयी दिल्ली। सरकार देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (एलआईसी) के विदेश में भी लिस्टिंग पर विचार कर रही है। माना जा रहा है ये विदेशी निवेशकों के लिए एक बड़ा संकेत होगा। सरकार एलआईसी का आईपीओ लाने का इरादा पहले ही साफ कर चुकी है। जहां तक विदेश में लिस्टिंग का सवाल है तो इसके लिए कंपनी एक्ट में भी बदलाव किया जाएगा। बजट घोषणा के बाद सरकार ने डेलॉइट और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स को एलआईसी इश्यू के लिए लेनदेन सलाहकार नियुक्त किया। साथ ही एलआईसी अधिनियम में संशोधन करने की प्रोसेस भी शुरू की, क्योंकि कानून के तहत केंद्र सरकार एलआईसी की एकमात्र शेयरधारक है।

कहां तक पहुंची प्रोसेस

कहां तक पहुंची प्रोसेस

एलआईसी अपनी एम्बेडेड वैल्यू के लिए एक एक्चुरियल (बीमांकिक) फर्म नियुक्त करने की प्रक्रिया में है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार एलआईसी का आईपीओ 2020-21 की चौथी तिमाही में आने की संभावना है। जहा तक नियमों में संशोधनों की बात है तो सरकार संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान ये प्रस्ताव ला सकती है। हालांकि होने वाले संशोधनों के बावजूद एलआईसी को अधिनियम के तहत ही चलाया जाएगा।

कितनी होगी वैल्यूएशन

कितनी होगी वैल्यूएशन

विश्लेषकों का मानना है कि एलआईसी की वैल्यू 11-12 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगी और कंपनी में सरकार को 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की आवश्यकता होगी। इसलिए प्रस्तावित आईपीओ, जिसकी वैल्यू 3 लाख करोड़ रुपये हो सकती है, के लिए भारत में पर्याप्त खरीदार न हों ऐसा हो सकता है। इसीलिए एलआईसी की अंतरराष्ट्रीय लिस्टिंग हो सकती है।

फैसले को मिल रहा है समर्थन

फैसले को मिल रहा है समर्थन

शुरू में विदेशी लिस्टिंग का प्रस्ताव सरकार के अंदर बनाया गया था, लेकिन इस प्लान को बाहर से भी समर्थन मिला। वैश्विक स्टॉक एक्सचेंजों में से कुछ ने पहले ही सरकार को एलआईसी को लिस्ट करने के लिए कहा है। हालांकि इस पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। यह (एक विदेशी लिस्टिंग) का फैसला विचाराधीन है। आखिरी निर्णय सलाह के आधार पर लिया जाएगा। इन्फोसिस, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक सहित कई भारतीय बैंकों और कंपनियों ने डिपॉजिटरी रिसीट के जरिए वैश्विक निवेशकों से पैसा हासिल किया है, मगर किसी भी घरेलू कंपनी की विदेशी एक्सचेंज पर डायरेक्ट लिस्टिंग नहीं हुई है। इसकी एक वजह कानून के तहत अनुमति नहीं होना भी है।

चीनी कंपनियाँ इस मामले में आगे

चीनी कंपनियाँ इस मामले में आगे

विदेशों में लिस्टिंग के मामले में चीनी कंपनियां काफी आगे हैं। हाल के कुछ सालों में कई चीनी कंपनियों ने ये रास्ता चुना है जिसने न केवल निवेशक आधार बढ़ाने में मदद मिली, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अपील भी बेहतर हुई। नियमों में संशोधन के साथ रिलायंस जियो उन कंपनियों में हो सकती है, जो विदेशों में लिस्ट हो। इसी तरह फ्लिपकार्ट भी इस रास्ते पर चल सकती है।

निवेश का बड़ा मौका

निवेश का बड़ा मौका

सरकारी कंपनियों की लिस्टिंग पर सरकार खुदरा निवेशकों का ध्यान जरूर रखती है। रिटेल निवेशकों के लिए आईपीओ में काफी शेयर अलग रखे जाते हैं। कुछ शेयर डिस्काउंट पर भी अलॉट किए जाते हैं। ऐसी उम्मीद है कि एलआईसी शेयर बाजार से 80000 करोड़ रुपये जुटाएगी। ऐसे में खुदरा निवेशकों का 35 प्रतिशत का हिस्सा 25 से लेकर 28000 करोड़ रुपये तक हो सकता है।

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English summary

Big disclosure on LIC listing may be done abroad as well

If there is a question of listing abroad, then the Companies Act will also be changed for this. Following the budget announcement, the government appointed Deloitte and SBI Capital Markets as transaction advisors for the LIC issue.
Story first published: Saturday, October 3, 2020, 14:59 [IST]
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