5जी स्पेक्ट्रम के लिए अगले साल लगेगी बोली, जानिये कब से मिलेगा और तेज इंटरनेट
नयी दिल्ली। अगले साल भारत में 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी होगी। आपको बता दे कि अगले साल भारत की अब तक की सबसे बड़ी एयरवेव्स नीलामी में सरकार को 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिल सकती है, जिसमें 4जी और 5जी स्पेक्ट्रम के 8,300 मेगाहर्ट्ज के लिए टेलीकॉम कंपनियाँ बोनी लगायेंगी। बीते शुक्रवार को डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) द्वारा दी गई मंजूरी के बाद मार्च-अप्रैल 2020 में स्पेक्ट्रम की बिक्री हो सकती है। टेलीकॉम कंपनियों और विश्लेषकों का मानना है कि दोनों फ्रीक्वेंसीज की शुरुआती कीमत (5जी के लिए 492 करोड़ रुपये प्रति यूनिट और 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए 6,568 करोड़ रुपये प्रति यूनिट जो 4जी के लिए इस्तेमाल की गई) गंभीर निविदाओं को आकर्षित करने के लिए बहुत ज्यादा थी। खास कर टेलीकॉम कंपनियों की वित्तीय स्थिति को देखते हुए। याद हो कि जुलाई-सितंबर तिमाही में एजीआर के प्रोविजन बनाने की वजह से वोडाफोन आइडिया को 53,000 करोड़ रुपये और एयरटेल को 35,500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
कोरिया के मुकाबले काफी महंगे स्पेक्ट्रम
कोरिया में 5जी की प्रति यूनिट के लिए 65 करोड़ रुपये का बेस प्राइस है जबकि भारत में यही दाम 492 करोड़ रुपये है। ट्राई ने 20 मेगाहर्ट्ज के ब्लॉक में रेडियोवेव की सिफारिश की है। यानी 100 मेगाहर्ट्ज की वॉल्यूम खरीदने के लिए, एक ऑपरेटर को कम से कम 50,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। मगर इससे पहले वोडाफोन, आइडिया और जियो को फिर से उन क्षेत्रों में 4जी स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगानी होगी जहां इन एयरवेव्स पर उनका अधिकार 2021 में समाप्त होने वाला है। 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1,800 मेगाहर्ट्ज, 2,100 मेगाहर्ट्ज, 2,300 मेगाहर्ट्ज और 2,500 मेगाहर्ट्ज बैंड में 4जी एयरवेव्स और 3,300-3600 मेगाहर्ट्ज बैंड में 5जी स्पेक्ट्रम अगले साल बिक्री के लिए रखे जाएंगे।
ऊंची कीमतों से 5जी में देरी संभव
पहले अनुमान था कि 2020 के आखिर तक देश में 5जी इंटरनेट आ सकता है। मगर टेलीकॉम कंपनियों की वित्तीय स्थिति को देखते हुए इसे मुश्किल बताया जा रहा है। सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यूज के अनुसार 5जी के लिए नीलामी तय करने से पहले हाल ही में की गई पहल से टेलीकॉम सेक्टर की वित्तीय क्षमता में सुधार करना समझदारी होगी। इस समय का उपयोग 5जी के डिजाइन और परीक्षण के लिए किया जा सकता है। अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए टेलीकॉम कंपनियो ने अपने प्लान महंगे किये हैं।
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