फायदे की बात : जानिए पुरानी और नई पेंशन स्कीम का अंतर, कौन ज्यादा फायदेमंद
नई दिल्ली, सितंबर 24। केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली को लेकर एकजुट होने लगे है। चुनाव जैसे-जैसे पास आता हैं। पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा फिर से की गर्माने लगता हैं। ऐसा ही गुजरात में देखने को मिल रहा हैं। गुजरात में विधानसभा चुनाव होने को हैं बहुत सारी राजनीतिक पार्टियां गुजरात में चुनाव प्रचार में लगी हैं। चलिए जानते हैं पुरानी पेंशन स्कीम और नई पेंशन स्कीम में क्या फर्क हैं और इसमें कर्मचारियों को क्या क्या लाभ मिलेंगे।
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नई पेंशन स्कीम कब लागू हुई थी
पुरानी पेंशन स्कीम के तहत वर्ष 2004 के पहले कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर एक निश्चित धन राशि मिलती थी। यह जो पेंशन हैं। रिटायरमेंट के व्यक्त कर्मचारी के वेतन पर आधारित होती हैं। इस स्कीम के तहत यदि कर्मचारी गुजर जाता हैं तो पेंशन उसकी फैमिली को देने का प्रावधान था। वर्ष 2005 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए अटल बिहारी सरकार ने इस स्कीम को बंद कर दिया था। इसकी जगह पर नई पेंशन स्कीम को लागू किया गया था। जिसके बाद राज्यों ने नई पेंशन स्कीम को अपनाया।
पुरानी पेंशन स्कीम ऐसी हैं
जब कर्मचारी रिटायर होता था। उस व्यक्त कर्मचारी की वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती थीं। उसके साथ ही पुरानी पेंशन स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड का प्रावधान है। इस स्कीम में ग्रेच्युटी की राशि 20 लाख रु तक मिलती हैं। इस पुरानी पेंशन स्कीम में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के द्वारा से होता है। रिटायरमेंट हुए कर्मचारी यदि गुजर जाता हैं तो पेंशन उसके परिवार को मिलती हैं। इस स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं कटता है। इस पेंशन स्कीम यानी पुरानी पेंशन स्कीम में 6 महीने बाद मिलने वाले डीए का प्रावधान हैं।
क्या हैं खास नई पेंशन स्कीम में
कर्मचारियों का सैलरी+डीए का 10 प्रतिशत हिस्सा नई पेंशन स्कीम में कटता हैं। एनपीएस इसलिए पूरी तरह सुरक्षित नहीं होता क्योंकि ये शेयर पर आधारित होता हैं। इस स्कीम में रिटायरमेंट पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस के फंड का 40 प्रतिशत इन्वेस्ट करना होता है। रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित फंड की गारंटी नहीं होती हैं।