भारतीय एनर्जी सेक्टर के लिए बुरी खबर, नई रिन्युएबल क्षमता में आएगी गिरावट
नयी दिल्ली। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार अगले पांच सालों में भारत की कुल सौर और पवन (रिन्युएबल) ऊर्जा क्षमता में क्रमश: 35 गीगावाट और 12 गीगावट बढ़ोतरी की उम्मीद है। सौर और पवन ऊर्जा क्षमता में बढ़ोतरी के अनुमान में गिरावट आई है, जिसके पीछे असल कोरोनावायरस के कारण आई अड़चने हैं। क्लीन एनर्जी कंसल्टेंसी ब्रिज टू इंडिया (बीटीआई) की रिपोर्ट के अनुसार 2020-2024 के दौरान सौर ऊर्जा में 43 गीगावाट और पवन ऊर्जा में 15 गीगावाट बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया था। इसमें कहा गया है कि बिजली की मांग में कमजोर वृद्धि, डिस्कॉम की फाइनेंशियल स्थिति बिगड़ने और डेब्ट फाइनेंसिंग में और अड़चनों के कारण अगले कुछ सालों के लिए आउटलुक निराशाजनक है।
इकोनॉमिक आउटलुक पर अनिश्चितता
बीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोरोना मरीदों की संख्या अभी भी तेजी से बढ़ रही है, जिसे देखते हुए आर्थिक दृष्टिकोण को लेकर काफी अनिश्चितता बनी हुई है। ऊर्जा क्षेत्र में कई मांग और आपूर्ति के झटके आए हैं। सरकार की तरफ से घोषित किए गए राहत उपायों की घोषणा के बाद रिन्युएबल एनर्जी सेक्टर पर अल्पकालिक प्रभाव उम्मीद से हल्का रहा है। इस सेक्टर पर महामारी के अल्पकालिक प्रभाव के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि डेवलपर्स और ठेकेदारों के लिए अधिक वर्किंग कैपिटल और ऑपरेशनल लागत के साथ 2020 में 2-3 गीगावाट की क्षमता का नुकसान होगा।
मध्य अवधि में कैसा रहेगा हाल
मध्यम अवधि के लिए रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि ऊर्जा क्षमता कम वृद्धि होगी। इसके पीछे बताए गए कारणों में बिजली की मांग में निरंतर कमजोरी, कर्जदारों में लोन देने की कम रुचि और रूफटॉप सोलर के लिए सरकारी पॉलिसी को लेकर बड़ा जोखिम शामिल है। पिछले महीने पेश की गई बीटीआई की रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले साल की जनवरी-मार्च तिमाही में 2163 मेगावाट के मुकाबले इस साल समान तिमाही में भारत की सोलर कैपिसिटी के 67 फीसदी कम 715 मेगावाट अतिरिक्त क्षमता जोड़ी गई। वहीं विंड कैपिसिटी 944 मेगावाट के मुकाबले 65 फीसदी कम सिर्फ 28 फीसदी बढ़ी।
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